प्यारे दोस्तो, मेरी पहली कहानी
चचेरी बहन का कौमार्य
जो तीन भागों में अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई थी, आप सभी ने उसको इतना पसंद किया, आप लोगों के बहुत सारे ईमेल आए, आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
जैसा मैंने अपनी पिछली कहानी में आपसे वादा किया था, मैं हाजिर हूँ अपनी दूसरी कहानी के साथ और उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी भी आप सभी को बहुत पसंद आएगी।
तो मैं और मेरी चचेरी प्यारी बहन प्रिया अब करीब-करीब रोज ही चुदाई करने लगे, जैसा कि मैंने बताया था। मेरी बीवी जो स्कूल-टीचर है, वो सुबह 6 बजे घर से निकल जाती है क्योंकि उसको कन्नौज जाने वाली ट्रेन पकड़नी होती है और शाम को आते-आते भी करीब यही समय हो जाता है।
चाचा जी ऑफिस चले जाते हैं, घर में सिर्फ मैं और प्रिया ही रह जाते थे। हम दोनों ने पिछले दो महीने में जितनी भी तरह से हो सकता था, हर आसन और हर जगह पर सेक्स का मज़ा लिया, सिर्फ एक को छोड़ कर और वो था गाण्ड मारना।
मैंने बहुत कोशिश की प्रिया की कुंवारी गाण्ड मारने की, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुई।
एक दिन मैं और प्रिया चुदाई करने के बाद कमरे में नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए लेटे थे, मैं उसकी उसकी चूचियों को पी रहा था, अचानक मैंने उससे पूछा- प्रिया, क्या अंजलि का कोई बॉय-फ्रेंड है?
मैं पहले आपको बता दूँ कि अंजलि मेरी सगी बुआ की लड़की है जो प्रिया के बराबर उम्र की ही है और उसी के स्कूल में साथ में पढ़ती है।
अंजलि प्रिया से भी अधिक खूबसूरत है, रंग एकदम गोरा और उसके चेहरे को देख कर आपको दिव्या भारती की याद आ जाएगी, बाकी फिगर जैसा कि उस उम्र की लड़कियों के जैसा ही है। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं हैं, कूल्हे भी सामान्य ही हैं।
जैसा कि मैंने बताया, खूबसूरती में वो प्रिया से आगे है।
प्रिया अपनी आँखें बंद करके अपनी चूचियों की मालिश करवा रही थी, अचानक मेरी आँखों में देखने लगी, थोड़ी देर देखने के बाद बोली- जान (वो अकेले में मुझे इसी नाम से बुलाती है) क्या तुम अंजलि की सील तोड़ना चाहते हो?
मुझे कुछ जवाब नहीं सूझा, पर मैंने पता नहीं क्यों उसके होंठों को चूमते हुए कहा- हाँ.. प्रिया, मैं अंजलि को चोदना चाहता हूँ, क्या उसकी सील अभी नहीं टूटी? क्या उसने अभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया?
तो प्रिय मुस्कराते हुए बोली- नहीं!
मेरी धड़कन बढ़ी हुई थीं, अन्दर डर यह भी था कि कहीं प्रिया बुरा न मान जाए, इसलिए मैंने बात टालने के उद्देश्य से प्रिया की चूचियों को पीना शुरू किया और अपनी ऊँगली उसकी चूत में घुमाने लगा।
प्रिया शायद एक और चुदाई के लिए तैयार ही थी, वो उछल कर मेरे ऊपर आ गई, उसने अपने हाथ से मेरे तने हुए लण्ड को अपनी चूत के मुँह में रखा और एक जोरदार धक्के से पूरा लण्ड अपनी चूत में लील लिया, उसने आँखें बंद करके अपनी कमर को आगे-पीछे करना शुरू किया।
दोस्तों मैंने नोट किया कि आज प्रिया कुछ ज्यादा ही जोश में आकर मेरी चुदाई कर रही थी, मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।
करीब 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपनी चूत में अन्दर-बाहर करने के बाद प्रिया का बदन एक दम ऐंठने लगा, मैं समझ गया कि यह स्खलित होने वाली है।
मैंने भी नीचे से अपनी गाण्ड को और ऊपर उठा लिया जिससे मेरा लण्ड बिल्कुल उसकी चूत समा गया, तभी प्रिया मेरे सीने पर गिर कर हाँफने लगी और हम दोनों एक साथ ही स्खलित हो गए थे।
थोड़ी देर शांत रहने के बाद प्रिया ने मेरी ओर देखते हुए पूछा- मजा आया जान?
मैंने उसको चूमते हुए कहा- हाँ.. बहुत!
तो वो अचानक बोली- तुमको ऐसी क्या कमी लगी मुझमें, जो तुम अंजलि से पूरी करनी चाहते हो?
तब मुझे उसकी जोश भरी चुदाई का मतलब समझ में आ गया, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा- नहीं तुममें कोई कमी नहीं है, मैं तो बस ऐसे ही… पर अगर तुमको अच्छा नहीं लगा, तो कोई बात नहीं!
तभी मुझे बाहर कुछ आहट लगी, मैं समझ गया कि मेरी माता जी मंदिर सी आ गई हैं। हम दोनों तुरंत अलग हुए और अपने-अपने कपड़े पहन कर सामान्य हो गए।
दूसरे दिन मैं अपनी बालकनी में अपनी प्रिया रानी के इंतजार में टहल रहा था क्योंकि टीवी देखते-देखते बोर हो गया था।
प्रिया अपने स्कूल गई थी और अभी करीब सुबह के 10 बजे थे, घर में मेरे अलावा और कोई नहीं था, मेरी नजर घर की तरफ आती हुई प्रिया पर पड़ी, उसके साथ अन्जलि भी थी।
मैंने देखा की प्रिया मुझे बहुत ध्यान से देख रही थी।
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि यह प्रिया के स्कूल से आने का समय नहीं था, लेकिन मुझे कल की बात याद आ गई और मुझे लगा कहीं प्रिया नाराज न हो जाए सो मैंने उनके सामने से हटना ही उचित समझा।
किन्तु मैं जैसे ही मुड़ा, मुझे लगा कि अंजलि कुछ लंगड़ा कर चल रही है। उसके चेहरा भी कुछ उदास लग रहा था, मैंने सोचा पता नहीं क्या बात है? तो मैं जीने से उतर कर सीधे गेट पर ही पहुँच गया।
मुझे देख कर प्रिया ने हल्की सी मुस्कान दी और अंजलि ने कहा- नमस्ते भैया!
मैंने भी उसको मुस्करा कर जवाब दिया, फिर पूछा- क्या हुआ? तुम लंगड़ा कर क्यों चल रही हो?
तो प्रिया बोली- इसके पैर में चोट लग गई है स्कूल में, खून निकल आया था, तो मैंने ही इससे कहा कि घर चलो, दवा लगा देंगे.. थोड़ा आराम कर लेना और फूफा जी को भी फ़ोन कर देंगे, तो शाम को ऑफिस से लौटते समय तुम उनके साथ चली जाना।
प्रिया के स्कूल से हमारा घर पास है और बुआ का थोड़ा दूर है।
मैंने अंजलि की ओर देखते हुए कहा- हाँ.. यह अच्छा किया, कहाँ चोट लगी है देखूं!
अंजलि ने कुछ असहज भाव से प्रिया की ओर देखा, तभी मेरी नजर अंजलि की स्कर्ट में लगे खून की तरफ चली गई।
मैंने कहा- अरे खून तो अभी भी निकल रहा है, चलो जल्दी अन्दर… मैं फर्स्ट एड बॉक्स लाता हूँ!
मैं तुरन्त अपने कमरे में गया और फर्स्ट एड बॉक्स लेकर प्रिया के कमरे में पहुँच गया। तब तक वह दोनों सोफे में बैठ गई थीं।
मैंने प्रिया से कहा- जाओ पानी की बोतल ले आओ.. पहले अंजलि को पानी पिलाओ।
मैंने कूलर ऑन कर दिया, पानी पीने के बाद मैंने अंजलि से कहा- लाओ चोट दिखाओ.. मैं दवा लगा देता हूँ! देखूं.. कहाँ चोट लगी है?
अंजलि अपनी स्कर्ट को अपनी दोनों टांगों से दबाते हुए बोली- नहीं भैया, सब ठीक हो जाएगा, आप परेशान मत होईये!
मैंने कहा- अरे इसमें परेशान होने वाली क्या बात है, तुम मुझे चोट तो दिखाओ!
मेरे कई बार कहने के बाद भी उसने चोट नहीं दिखाई, तब मैं घूम कर प्रिया जो कि शायद अपने कपड़े बदल कर अन्दर कमरे से आ रही थी, की ओर देखा तो उसके चेहरे पर हल्की से शरारती मुस्कान देखी।
मेरे दिमाग में घंटी बजी!
तभी अंजलि जल्दी से उठ कर बाथरूम के अन्दर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया, तो मैंने प्रिया से मौका देख कर पूछा तो उसने मुस्कराते हुए बताया कि अंजलि को पीरियड आ गया, चूँकि उसको डेट याद नहीं रही, तो पैड वगैरह नहीं थे, इसी लिए हम लोग अपनी क्लास टीचर से जल्दी छुट्टी लेकर घर आ गए।
अब बात मेरे समझ में आई।
मुझे यह बताने के बाद प्रिया अन्दर कमरे में गई और अपनी एक ड्रेस और चूत में पीरियड के समय लगाने वाला पैड (मुझे दिखाते हुए) लेकर बाथरूम के बाहर लेकर दरवाजे पर दस्तक दी। जिसको कि अंजलि ने हाथ निकाल कर ले लिया। मैंने तुरंत अपना दिमाग लगाया और प्रिया को वापस आते ही अपनी बाँहों में भर लिया और उसके प्यारे चेहरे पर अनगिनत चुम्मी कर डालीं। प्रिया ने भी उसी तरह से उत्तर दिया। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कराने लगा, शायद उसको मेरी आँखों की भाषा समझ आ गई थी।
वो प्यार से मेरी आँखों में देखती हुई बोली- क्या बहुत मन है.. अंजलि की सील तोड़ने का प्रियम!
मैंने उसको बहुत जोर से अपने से चिपका लिया और कहा- हाँ जान.. बहुत ज्यादा!
उसने कहा तो कुछ नहीं, बस वैसे ही चिपके हुए मेरे बाल सहलाती रही, फिर बोली- अभी तुम जाओ, देखती हूँ.. क्या हो सकता है!
कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग: फुफेरी बहन की सील तोड़ी-2