भानुप्रिया की चुदास ने मुझे मर्द बनाया (Bhanupriya Ki Chudas Ne Mujhe Mard Banaya)

मेरा नाम अर्जुन है, मैं अब बाईस बरस का हूँ।

यह बात 2011 तब की है.. जब मैं मथुरा में रहता था और उस वक्त मैं अठारह बरस का था।

भानुप्रिया मेरी पहली गर्लफ्रेंड बनी थी, वो गोरी तो थी ही, साथ ही उसका फ़िगर बड़ा ही मस्त था और उसके बोबे तो कहर ढाते थे।

हम एक साथ इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए पढ़ते थे।

उसे मैं अपने घर बुलाया करता था.. तो वो आ जाया करती थी।

और मैंने उसे एक गाना सुना कर प्रोपोज़ किया था.. तो उसने एक झटके में बगैर कुछ ज़्यादा सोचे ही ‘हाँ’ कर दी।

हम कुछ दिन बाहर मिलते रहे, हमारी कोचिंग क्लासिज भी एक ही थीं।

हम दोनों इतने बिंदास हो चुके थे कि फ़ोन पर हमारी बातें सुन कर तो राखी सावंत भी शर्मा जाए और फिर धीरे-धीरे हम दोनों मेरे घर पर ही मिलने लग गए।

वो जब पहली मर्तबा हमारे घर अपनी गोल-गोल तशरीफ़ (उर्दू में गांड को तशरीफ़ भी कहते हैं) ले कर आई थी.. तो मैंने उसे बस जी भर के देखा भर था।

काया तो उसकी बिलकुल क़यामत लग रही थी.. इसी हूर से परी चेहरे को लेकर वो इस क़ायनात में आई थी.. क्या गज़ब ढा रही थी वो.. पर मैंने खुद को संभाला और बस आँखों से ही उसके 32 इंची बोबे देख कर दबाने की तमन्ना लिए रह गया।

फ़िर मैंने भानुप्रिया को जाते हुए कहा- जाते-जाते कुछ भूल नहीं रही तुम?

वो बहुत चालाक थी.. जानबूझ कर अनजान बन रही थी.. तो मैंने बगैर कुछ कहे उसको जाने दिया। वो बाद में मुझे फ़ोन करके मुझ पर हँसने लगी।

मैं मन-ही-मन सोच रहा था कि अगली बार तो इसे छोड़ना नहीं है।

वो मौका भी मुझे जल्द ही मिल गया। हुआ यूँ कि एक दफ़ा वो मेरे घर आई.. तो अभी हमारी कामवाली आंटी गई नहीं थी तो मैंने उनसे हमारे लिए जैली बनवा ली।
फ़िर आंटी चली गईं और घर पर बस मैं और भानुप्रिया ही रह गए।

मैं और भानुप्रिया जैली खा रहे थे.. वो मुझे खिला रही थी और मैं उसे खिला रहा था।

फ़िर वो खुद बोली- पिछली बार जब मैं आई थी.. तब तुम मुझे चूमना चाहते थे ना?

मैं बगैर सोचे-समझे बोला- हाँ..

वो हँसने लग गई.. मुझे शर्म महसूस हो रही थी और वो मेरा चेहरा उतरा हुआ देख कर बोली- आज तो मैंने खुद ही तुम्हें कहा है.. अब तो चूम लो मुझे..

मेरा चेहरा खिल उठा.. मैं मुड़ा और फ़्रिज से एक फाइव-स्टार चॉकलेट ले आया।

वो देख कर कुछ परेशान सी हो गई और बोली- मैं चॉकलेट नहीं.. तुम्हें खाना चाहती हूँ।

मैंने उसे अनसुना कर दिया और चॉकलेट खोलने लगा.. वो बस एक प्यारी-सी परी की तरह मुझे बच्चों जैसी हरकतें करते हुए देख रही थी।

फ़िर मैंने चॉकलेट का एक सिरा अपने मुँह में रखा और दूसरा बाहर रहने दिया ताकि वो समझ जाए।
वो समझ गई और दूसरा सिरा अपने मुँह में रख कर खाने लगी।

हम धीरे-धीरे खाते हुए एक-दूसरे के होंठों की तरफ बढ़ने लगे और फिर जल्द ही चॉकलेट की लंबाई खत्म होने लगी.. पर मेरे लंड की लंबाई बढ़ने लगी।

मैंने जींस की पैंट पहनी हुई थी तो उसमें से वो 6 इंच का तम्बू बना रहा था।

जल्द ही हमारे होंठ मिल गए और हम एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे।

कब उसकी जीभ मेरे होंठों पर रेंगने लगी मुझे पता ही नहीं चला। वो पहला मौका था.. जब कोई लड़की मुझे चूम रही थी।

भानुप्रिया बोली- तुम्हारा रॉकेट तो तैयार खड़ा है.. बस किसी चाँद पर जाने की चाह लग रही है।

मैं बस मुस्कुरा कर कुछ न बोला.. तो वो खुद ही मेरी बेल्ट उतारने लगी।

अब मैंने भी अचानक सोचा कि जब वो लड़की हो कर भी तैयार है.. तो मुझे क्यों दिक्कत है। मैंने भी उसकी टी-शर्ट ऊपर खींचना शुरू कर दिया।

तो नीचे वो मेरी पैंट उतार रही थी और मैं उसकी टी-शर्ट।

मुझे उसके बोबे महसूस हो रहे थे.. एक अजीब-सी गर्मी थी उनमें। अब उसकी ब्रा पर मेरा हाथ था और मेरे कच्छे पर उसका हाथ अपना जादू बिखेर रहा था।

वो मेरे कच्छे में अपना हाथ डाल रही थी.. उसके ठन्डे मगर कोमल हाथ मुझे अपने 6 इंच के लंड पर महसूस हो रहे थे और मैं उसकी ब्रा खोलने की भरसक कोशिश कर रहा था।

वो मुझे अपनी ब्रा से जूझता देख रही थी तभी उसे मुझ पर तरस आ गया और वो पलट गई।

तब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और मेरे हाथों में वो 32 इंची बोबे थे.. जिन्हें मैं किसी पागल की तरह मसल रहा था।

फ़िर मैंने उसकी जींस की बेल्ट खोल दी और जींस को एक झटके में अलग कर दिया।

उसे मैंने उसकी कच्छी में बिस्तर पर पटक दिया। अब मैंने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो तीन बज रहे थे.. मेरे पास दो घंटे थे.. उसका ‘काम-तमाम’ करने के लिए..
तो मैंने उसकी कच्छी भी उतार फेंकी, उसकी फुद्दी पर मेरे लंड के विपरीत कोई बाल नहीं थे।

मेरे पास कंडोम नहीं था.. जब मैंने उसे बताया तो वो बोली- उसके पास कंडोम के लिए इंतज़ार करने का वक्त नहीं है.. अब मुझे मत तड़पाओ.. बस घुसा दो.. जो होगी.. देखी जाएगी।

बस उसका इतना कहना था कि मैंने अपना लंड उसकी फुद्दी पे लगाया और एक पहले झटके में पूरा लंड अन्दर दे मारा.. उसकी और मेरी एक साथ ‘आह’ निकल गई।

मैंने जब नीचे देखा तो खून ही खून था। मैंने हड़बड़ी में उसको 6-7 मिनट तक चोदा और उसके बोबे जी भर कर चूसे। फ़िर मुझे लगा.. मैं झड़ने वाला हूँ तो उसे बोला- भानु.. मैं झड़ने लगा हूँ.. तुम्हारा क्या हिसाब है?

उसने जवाब दिया- मैं चाहती हूँ कि तुम अपना माल मेरे मम्मों पर गिरा दो..

मैंने ठीक ऐसा ही किया और अपना माल उसके मुँह पर गिरा दिया.. वो सारा माल चाट गई।

फिर हमने एक-दूसरे को चूम कर ‘आई लव यू’ कहा.. और पौने पांच बजे तक वो तौलिए से खुद को अच्छी तरह पोंछ कर चली गई।

हमारा फ़िर दो साल बाद ब्रेक-अप हो गया.. पर जो भी हो, भानुप्रिया ने मुझे मज़ा तो भरपूर दिया.. एक नौसिखिए से जवान बना दिया।

About Abhilasha Bakshi

Check Also

सम्भोग : एक अद्भुत अनुभूति-1 (Sambhog- Ek Adbhut Anubhuti-1)

This story is part of a series: keyboard_arrow_right सम्भोग : एक अद्भुत अनुभूति-2 View all …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *