दोस्तो, यह मेरा अन्तर्वासना पर पहला अनुभव है जो कि एक सौ एक प्रतिशत सच है। मैंने इसमें अपनी चुदाई के कुछ ख़ास अंश पेश किए हैं। मेरी उम्र बाईस साल की है, मेरी शादी को अभी सिर्फ छह महीने बीते हैं।
मेरा और मेरे पति के बीच उम्र का बहुत बड़ा अंतर है। उम्र का यह अंतर मेरी वजह से ही है, मैंने ही गुप्ता को अपने हुस्न के जाल में बुना था, क्यूंकि मैं एक बहुत ही गरीब घर से हूँ।
हम तीन बहनें ही हैं। पापा तो हम सबको तभी छोड़ चले गए जब मैं तीन साल की थी। मैं सबसे छोटी ही हूँ, सुना है कि माँ के पराए मर्दों से सम्बन्ध थे जिसके चलते पापा ने सबको छोड़ दिया। कभी वापस अपने शहर नहीं लौटे। माँ ने दूसरी शादी भी कर ली थी लेकिन निभ नहीं पाई।
माँ कपड़ों की सिलाई करतीं, कुछ घरों में खाना बनाने का काम भी करती थीं। माँ के साथ हाथ बटाने के लिए दीदी ने पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन मैं स्कूल जाती रही।
जवान होने लगी तो तेज़ी से जिस्म में बदलाव आए, शीशे में जब अपनी बड़ी हुई गोल आकर्षक होती जा रही छाती को देखती तो कुछ-कुछ होता।
लड़कों की फ़ौज मुझ पर हमला बोलने को तैयार थी। काफी समय तक मैंने काबू रखा, लेकिन मेरी संगत भी गलत बन गई। सीमा, अंजू दोनों मेरी सहेलियाँ थीं और वो अपने आशिकों की बातें बताने लगती। दोनों ने चुदाई के पूरे-पूरे मजे लूट लिए थे।
मुझे जवानी चढ़ी तो मैं कयामत बन चुकी थी। ख़ूबसूरती और खूबसूरत जिस्म, मुझे भगवान ने दिए थे। मैं आखिर बबलू से अपना दिल हार बैठी, उस बाली उम्र में ही पहला एफेयर था।
बबलू एक अमीर घर का लड़का था। उसने मुझे महंगा मोबाइल लेकर दिया था ताकि वो मुझ से संपर्क रख सके। उसने मेरे सड़े हुए ब्रा-पैंटी जो कि पुराने थे, बहनों के लिए फेंक दिए और मुझे एक गिफ्ट पैक दिया, कहा कि घर जाकर अकेले में खोलना।
मैंने घर जाकर अकेले में खोला उसमे काले रंग का ब्रा-पैंटी का सैट था। एक लाल रंग का था। एक लैटर था कि यह पहन कर मुझे दिखाना पड़ेगा और अगले दिन स्कूल टाइम के दौरान मुझे मिलना चाहता था।
रात को चोरी-चोरी से मोबाइल पर बात की, उसने कहा कि वो स्कूल से पहले कबीर पार्क में मेरा इंतज़ार करेगा।
पहली बार था, मैं स्कूल से ‘फूट’ कर निकली, उसने वादा किया था कि छुट्टी के पहले उसी पार्क में छोड़ देगा। मुझे लेकर वो अपने घर गया। गाड़ी के शीशे काले थे, उसके घर पर कोई नहीं था सिवाए नौकरों के। उसने अपना रूम दिखाया, क्या रूम था उसका !
उसने अपने कमरे में मुझसे पूछा- गिफ्ट पसंद आया?
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया, मैंने कुछ लिखा भी था, मुझे बहुत शर्म आई। उसने मुझे बाँहों में जकड़ा और पहली बार मेरे गुलाबी होंठों को चूम लिया और चूसने लगा। मैं पागल सी, दीवानी सी होने लगी थी। उसने मेरी कमीज़ उतारी। मैंने आँखें बंद कर लीं।
“वाह मेरी जान, इस ब्रा में तेरे मम्मे कितने आकर्षक दिखते हैं !!”
उसने मेरी गर्दन को चूमा धीरे-धीरे मेरी छाती पर होंठ रख डाले, मैं सिसकारी भरने लगी। उसने अचानक सलवार का नाड़ा खींच दिया। सलवार गिर गई। मैंने जल्दी से हाथ जाँघों पर रख दिए तो उसने ऊपर से मेरी हुक खोल दी।
मैं क्या-क्या छुपा सकती थी !
उसने मेरे अंगूरों को मुँह में लिया। मेरी साँसें बेकाबू होकर हाँफने लगी थीं। उसने नीचे से हाथ डाल मम्मा उठाया और दबाने लगा और साथ-साथ अंगूरों को भी चूसता रहा और हाथ से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चिकनी कुंवारी चूत को सहलाने लगा। अब मेरा हाल बुरा था, पता नहीं कैसे, क्यूँ, किस तरह अपने आप मेरा हाथ उसके लंड वाली जगह चला गया था।
जैसे ही उसने पैंटी के अंदर हाथ डाला। मैंने उसके लंड को कस कर पकड़ लिया और मसलने लगी। उसके लिए यही काफी था। उसको रास्ता दिखाई दिया तो उसने वार करने में देरी नहीं लगाई। उसने जल्दी से अपनी जींस खोल दी और टीशर्ट उतारी।
चौड़ी छाती, घने बाल एक असली मर्द की निशानी थी, जिस्म भी फौलादी था, उसने मुझे बैड पर फेंका। नर्म-नर्म बिस्तर था, मेरे ऊपर कूदा और बाँहों में जकड़ कर जोर-जोर से मसलने लगा, मेरे होंठों को चूसने लगा। उसने झटके में मेरी चड्डी भी उतार फेंकी।
पहली बार पूरी नंगी थी किसी लड़के के सामने। वो भी पहला बिस्तर था मेरा। वो मेरे मम्मे चूसने लगा और दबाने लगा। मैंने उसके लंड को पकड़ लिया क्यूंकि मुझे उस वक़्त कुछ दिख नहीं रहा था। विरोध भी नहीं किया था, अचानक से वो नीचे सरका और अपनी जुबान से मेरी कोमल कुंवारी चूत को चाटने लगा, सहलाने लगा।
“हाय माँ !” मुझे बहुत कुछ कुछ होने लगा, आँखें बंद होने लगीं।
मेरे दिमाग में आया कि तभी मेरी सहेलियाँ इस सुख का मजा लेती हैं। उसने ज़ुबान को घुमा दिया और थोड़ा अंदर करके चाटा, फिर अचानक से उसने दाने को छेड़ा। बस यही बाकी था, मुझे पूरी बेकाबू करने के लिए। वो मेरे सर के पास आया और लंड को मेरे होंठों से रगड़ा, मैंने भी चूम लिया।
वो बोला- मुँह खोलो मेरी जान !
मैंने मुँह खोला और उसका लंड मेरे मुँह में था। उसका लंड चूस कर मुझे बहुत मजा आने लगा। मैंने पहली बार ही सही लेकिन बेहतरीन लंड चूसा था। अचानक से उसने मुँह को किसी तरल पदार्थ से भर दिया। मुझे कुछ समझ नहीं आया, नमकीन सा
गर्म-गर्म सा, जब तक मैं उसको निगल नहीं गई, उसने बाहर नहीं निकाला।
“यह क्या था?”
वो बोला- यह एक औरत के लिए अमृत से कम नहीं है, इससे तेरे चेहरे में निखार आएगा तेरा जिस्म और सेक्सी बन जाएगा।
लेकिन उसका वही लंड जो कड़क था, वो कुछ ढीला होकर सिकुड़ सा गया।
“इसको क्या हो गया?”
कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का दूसरा भाग: मेरी चुदाई के कुछ सुनहरी पल-2