इंडियन आंटी सेक्स कहानी मेरी मौसी की जेठानी की चूत चुदाई की है. एक रात उन्हें चोदने के बाद मेरा मन किया कि मैं उनके साथ सुहागरात मनाऊं. तो मैंने क्या किया?
आंटी सेक्स कहानी पिछले भाग
मौसी की जेठानी को चुदाई का मजा दिया
में अब तक आपने पढ़ा कि रात को मैंने मौसी की जेठानी नीतू की चुदाई करके उसकी पूरी तसल्ली करवा दी.
कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी. शायद उसे ऐसी नींद बहुत समय बाद आई थी।
इसलिये मैंने उसे जगाना ठीक नहीं समझा और उसके नंगे बदन पर चादर डाल दी।
कुछ देर तक मैं उसके बदन से सट कर लेटा रहा और उसकी गर्मी को महसूस करता रहा।
फिर मैं उठा अपने कपड़े पहने और कमरे की लाइट बंद की और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया।
सुबह मैं बाथरूम जाने के लिए उठा तो वापस आते समय मुझे नीतू के कमरे की लाइट जलती हुए नजर दिखाई दी तो मैं सीधा उसके कमरे में घुस गया. वहां मैंने किसी तरह नीतू को अपनी बातों में बहला फुसला कर उसे अपने लंड के नीचे ले लिया तो नीतू भी अपनी दोनों टांगें फैला कर बड़े प्यार से अपनी चूत को मेरा लंड खिलाने लगी।
अब आगे इंडियन आंटी सेक्स कहानी:
मैं नीतू के कमरे से बाहर निकला तो देखा कि मौसी रूपाली के कमरे की लाइट जल रही थी।
बड़े संकोच से मैंने उसके कमरे के अंदर झांक कर देखा लेकिन रूपाली नहीं दिखी।
मैंने उसे रसोई, बाथरूम और आँगन सब जगह देख लिया लेकिन मौसी कहीं भी नहीं दिखाई दी इसलिये उसे खोजने के लिए दूसरी मंजिल पर चला गया।
वहां पर एक कमरे में रूपाली कुर्सी पर बैठे रो रही थी।
मैं उसके सामने जाकर खड़ा हो गया.
जैसे ही उसने मुझे देखा, बिना कुछ कहे रूपाली ने मुझे एक जोर थप्पड़ लगा दिया।
मौसी- आखिर तुम भी बाकी सभी मर्द की तरह ही निकले। मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया, तुमको अपने पति की जगह दी, अपने पति से धोखा किया; लेकिन तुमने एक चूत के लिए मुझसे धोखा किया. आखिर ऐसी क्या कमी थी मेरे प्यार में कि तुम उस छिनाल की चूत की में मुंह मारने चले गये।
रूपाली बहुत कुछ कहती रही और मैं सुनता रहा।
अंत मैंने रूपाली से इतना कहा- देखो रूपाली, तुम जैसा समझ रही हो वैसा नहीं है मेरी बात तो सुनो!
रूपाली- क्या सुनूं और क्यों? अच्छा बोलो!
मैं- मैंने ये सब हम दोनों की भलाई के लिए ही किया है।
रूपाली- इसमें मेरी भलाई कैसे हुई? फायदा तो तुम्हारा हुआ है … तुम्हें एक और चूत जो चोदने को मिल गई है।
मैं- नहीं ऐसा नहीं है. देखो उस रात को जब हम दोनों छत पर चुदाई कर रहे थे, तब नीतू हम लोगों को छिप कर देख रही थी। नीतू को हमारे बारे में पता चल गया। वो कह तो रही है कि वो किसी को कुछ नहीं बताएगी. लेकिन अगर उसने बाद में किसी से बता दिया तो तुम्हारी बदनामी होगी, इसलिये मैंने ऐसा किया। अब जो स्थिति तुम्हारी है, वही उसकी भी है, वो चाहकर भी किसी को कुछ नहीं बता सकेगी।
रूपाली- अच्छा!
मैं- अब नीतू को भी हमें अपने साथ शामिल करना होगा जिससे वो आगे भी किसी को कुछ नहीं बता पायेगी।
रूपाली- ठीक है।
रूपाली मौसी को सब समझ आने के बाद रूपाली वहां से चली गयी और मैं वहीं कमरे में सो गया।
कुछ देर बाद मैं सो कर उठा और नीचे आया, दोनों मौसियाँ रसोई में काम कर रही थी।
उन दोनों की तरफ देख कर मैं मुस्कुरा दिया और बाथरूम चला गया।
नित्य काम को करने के बाद जब मैं बाहर आया तो दोनों अभी भी काम में व्यस्त थी।
मैंने कपड़े पहने उनके पास चला गया।
रूपाली मुझे देख कर हंस रही थी और बार बार नीतू को चिढ़ा रही थी।
शायद नीतू ने रूपाली को सब कुछ बता दिया था।
नीतू शर्म से आधी हुई जा रही थी।
वह अपना ध्यान बटाने के लिए गाना गुनगुनाने लगी:
चूड़ी मज़ा न देगी कंगन मज़ा न देगा
गाना गा रही थी।
तभी रूपाली तपाक से बोल पड़ी- हाँ, अब तो दीदी को राहुल का लंड ही मज़ा देगा.
इतना कहते ही नीतू का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
मैंने नीतू का हाथ पकड़ा और कहा- चलो कमरे में चलते हैं. तुम्हारी दुलारी के बाल काट कर चिकनी बना दूँ।
नीतू अभी भी शर्म से वही खड़ी थी तो मैं उसे लगभग खींचते हुए कमरे में ले आया।
कमरे में आते ही मैं उसके होंठ चूमने लगा।
नीतू ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किये और कहा- तुम सच में बहुत बेशर्म हो. मैं खुद अपने बाल काट लूँगी. रूपाली आ जाएगी तो क्या सोचेगी।
लेकिन मेरी जिद के आगे वो हार गई।
मैं भाग के गया और मौसा की शेविंग किट उठा लाया।
मैंने नीतू से मैक्सी उतारने को बोला तो उसने अपनी मैक्सी नाभि तक उठा ली और कहा- ऐसे ही पैंटी उतारकर करो.
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और मैक्सी को उसके बदन से अलग कर दिया।
गोरा सफ़ेद उजला बदन देख मैंने किसी तरह खुद को काबू किया और उसे फर्श पर लिटा दिया।
उसके बदन पर लाल ब्रा और नीली पैंटी बहुत सुंदर लग रही थी।
मैंने उसकी पैंटी उतारी. दोनों टांगों के बीच में बालों का एक गुच्छा रखा हुआ था।
बालों को मैंने अच्छे से गीला किया और फोम डालकर झाग बना दिया।
फिर मैंने रेज़र में ब्लेड नया ब्लेड लगाया और उसे नीतू की चूत के ऊपर ह्ल्के हाथों से घिसने लगा।
जैसे जैसे बाल हटते जा रहे थे, वैसे वैसे मुझे लाल और गुलाबी रंगत वाली चूत की झलक मिलती जा रही थी।
दोनों साइड के बाल हटाने के बाद मुझे दो गुलाबी रंग के होंठ दिखने लगे थे।
मैंने ऊपर के तरफ के बाल साफ़ करने के लिए उसकी चूत में दो उंगली डाल दी।
मेरी उंगली चूत में जाते ही रस से भीग गई.
मतलब अब नीतू भी मज़ा लेने लगी थी।
अभी मैं अपने काम में लगा हुआ था कि पीछे से मौसी की आवाज आई- अरे ओ चूत के नाई … इनका हो जाये तो हमारी भी सेवा कर देना.
मैंने और नीतू ने दरवाजे की तरफ दखा तो रूपाली भी बिना कपड़ों के नंगी ही खड़ी थी।
नीतू ने शर्म से अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक लिया।
रूपाली कमरे के अंदर आकर बेड पर बेठ गई और नीतू की चूत को बड़े ध्यान से देखने लगी।
थोड़ी देर में नीतू की चूत के सारे बाल गायब हो गये थे और उसकी छोटी सी चूत दिखाई दे रही थी जो सुबह की चुदाई से एक दो जगह सूज गई थी।
अब रूपाली नीतू की जगह उसे हटा के खुद लेट गई और अपनी टांगें खोल दी।
रूपाली की चूत पर कम बाल थे इसलिये मैंने फटाफट उसकी भी चूत चिकनी कर दी।
थोड़ी देर बाद हम सब खाना खाने बैठ गये।
खाना खाते खाते रूपाली ने बाजार जाने की बात कही तो खाना खाने के बाद हम सब तैयार हुए।
मैंने मौसा जी की कार निकाली और हम सब बाज़ार पहुँच गये।
वो दोनों कपड़े की दुकान में घुस गई और मैं कार में बैठा रहा.
तभी मैंने कुछ सोचा और कार मेडिकल स्टोर की तरफ मोड़ दी।
मैंने स्टोर से एक कामवर्धक दवा का पैकिट एक मसाज आयल की बोतल और गर्भ निरोधक ले ली।
वापस कर मैंने गांडी पार्किंग में लगाई और रूपाली को फोन करके गांडी के पास बुलाया।
रूपाली बाहर आई, मैंने उसे कार में बैठने को बोला तो वो मेरे बगल में आ कर बैठ गई।
मैं- रूपाली अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो क्या तुम मुझे दोगी?
रूपाली- आपको पूछने की क्या जरूरत है, सब आपका ही है। वैसे क्या चाहिए आपको?
मैं- तुमको याद है … पिछली बार जब तुम घर आई थी तब तुम कैसे मेरे लिए नई विवाहिता की तरह तैयार हुई थी।
रूपाली- वो दिन कैसे भूल सकती हूँ. मुझे सब याद है. वो दिन कितने दिनों बाद वापस आया था मेरे जीवन में!
मैं- रूपाली मैं चाहता हूँ कि तुम आज रात वैसे ही मेरे लिए नीतू को तैयार कर दो।
रूपाली बहुत देर तक वैसे ही बैठी रही कभी मेरे चेहरे को देखती तो कभी अपने हाथों को!
अंत में रूपाली ने बड़े भारी मन से हाँ की।
मैंने लपक कर उसके माथे को चूम लिया।
फिर वो कार से उतर कर चली गई।
मैं रास्ते में आती जाती हर भाभी को बड़े ध्यान से देख रहा था। किसी के चुचे अच्छे, किसी के चूतड़, तो किसी लचकती कमर मुझे अपनी ओर बुला रही थी।
कुछ भाभियाँ इतनी कमसिन थी कि मन कर रहा था कि यहीं चोद लूँ।
बहुत देर तक औरतों को देखते देखते लंड का पेंट में तम्बू बन गया था। तो मैं क़ार से उतरा और नीतू रूपाली के पास चला गया।
दोनों अपने लिए साड़ियाँ देख रही थी।
मैंने दुकानदार से दोनों के लिए जींस और टीशर्ट दिखाने को बोला।
दुकानदार ने जींस टीशर्ट दिखाए।
मैंने दोनों से उनमें से कुछ पहनकर दिखाने को कहा।
नीतू तो मान गई लेकिन रूपाली ने पहनने से मना कर दिया.
तो नीतू अकेले ही ट्रायलरूम में चली गई।
जब नीतू बाहर आयी तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गई।
उसने सफ़ेद जींस और नीला आधी बाजू वाला टॉप पहना हुआ था। जींस में उसकी गांड और भी फूली हुई लग रही थी।
चूचियां तो अभी टॉप फाड़ कर बाहर आने को मचल रही थी।
इस समय वो किसी मॉडल की तरह लग रही थी।
मैंने एक नजर यहाँ वहां घुमाई. दुकान में मौजूद सारे मर्द उसे घूर कर देख रहे थे जैसे उसे अभी मिल के चोद देंगे।
तब मैंने बिल का पेमेंट किया उन लोगों ने थोड़ी देर और अलग अलग दुकानों से सामान खरीदे.
फिर हम लोग घर आ गये।
मैंने गांडी अंदर खड़ी की और कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा.
तभी रूपाली आयी और मुझे पीछे से बांहों में भर लिया।
उसने बताया कि नीतू भी मान गई है तो मैं रात का खाना बाहर से मंगवा लूँ वो उसे लेकर ब्यूटी पार्लर जा रही है।
इतना सुनते ही मैंने उसके चेहरे पर यहाँ वहां 7- 8 चुम्मियाँ अंकित कर दी।
शाम को 8 बजे जब नीतू पार्लर से आयी तो उसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसका बदन पहले से और ज्यादा चमक रहा है.
मैं उसे जितना देख रहा था, उतना ही उसकी सुन्दरता में खोता जा रहा था.
तभी रूपाली ने मेरा हाथ हिला कर मेरा ध्यान भंग किया- ऐसे क्यों घूर रहे हो आप? बस थोड़ी देर … और फिर दीदी आपकी ही है.
मैं भी क्या कहता … बस चूतियों की तरह हंस दिया।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी. खाना देने वाला आया था।
सबने खाना खाया फिर रूपाली नीतू को ले कर कमरे में घुस गई और मैं रूपाली के कमरे में टहलता रहा.
कुछ देर बाद मैं मौसा की अलमारी में अपने पहनने के लिए कपड़े देखने लगा.
तभी मुझे एक तरफ मौसा जी का कुर्ता पजामा दिखाई दिया. जिसे मैंने तुरंत पहन लिया।
रूपाली मेरे पास आयी- जाइये, नीतू आपका इन्तजार कर रही है.
मैं उठा रूपाली का एक बार फिर से शुक्रिया अदा किया और नीतू के कमरे में चला गया।
कमरे में अँधेरा था.
जैसे ही मैंने लाइट जलाई, मुझे नीतू बेड बीच में सर झुका कर बैठी हुई दिखाई दी।
लाल रंग के लहंगे में वो बहुत प्यारी लग रही थी।
पैरों में महावर, हाथों में लहंगे से मेल खाती हुई नेलपोलिश और हाथों में दुल्हल की तरह लाल चूड़ियां।
रूपाली ने उसे अपने सारे जेवर पहना दिए थे।
इस समय नीतू एक नई दुल्हन की तरह लग रही थी … बल्कि दुल्हन ही तो थी मेरी … जिसकी आज फिर से सुहागरात थी।
पूरा कमरा खुशबू से महक रहा था। बेड पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखरी पड़ी थी।
मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और जेब से एक गोली निकाल कर पानी के साथ गटक ली।
मैं धीरे से चलकर गया और उसके पैरों के पास बैठ गया।
जैसे ही मैंने उसके पैरों को हल्के छुआ तो उसने अपने पैरों को पीछे खींच लिया और वो खुद में और सिमट गई।
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इंडियन आंटी सेक्स कहानी का अगला भाग: मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 4