वासना भरी भाभी की गांड चुदाई का मजा (Vasna Bhari Bhabhi Ki Gand Chudai Ka Maja)

दोस्तो, मैं नीतीश मेरठ से आप सबका चहेता, आज फिर से अपनी एक और सच्ची कहानी लेकर हाजिर हूँ.

जैसे कि मैंने आप लोगों को पिछली सेक्स कहानी
सेक्सी भाभी को पूरी नंगी करके चोदा
में बताया था कि कैसे मैंने भाभी की चुदाई की रात भर की थी.

अब उस सेक्स कहानी से आगे की घटना लिख रहा हूँ.

मैं उस दिन अब तक भाभी को दो बार चोद चुका था. फिर थकान के चलते मैं भाभी के ऊपर ही लेट कर सो गया. सुबह भाभी को जल्दी उठना पड़ता है, क्योंकि उनके बच्चे स्कूल जाते हैं.

मगर भाभी तो उस दिन सुबह ही चुदने के लिए तैयार थीं. वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं, जिससे मेरी आँख खुल गई.

मैंने उनको चूमा और गुड मॉर्निंग विश किया. उन्होंने भी गुड मॉर्निंग बोलते हुए मुझे किस करना शुरू कर दिया.

बस फिर क्या था. मैं गर्म हो गया. भाभी जल्दी से एक बार और चुदाई करने को बोलने लगीं.

मैंने उन्हें गांड की चुदाई करने की इच्छा बताई तो भाभी बोलीं- नहीं यार … वहां बहुत दर्द होगा.
मैं- हां भाभी … थोड़ा सा ही तो होगा … सहन कर लेना न!
भाभी- नहीं … थोड़ा नहीं … बहुत दर्द होगा … मैं बर्दाश्त ही नहीं कर पाऊंगी.

मैं- भाभी आपको पहली बार में जितना दर्द चूत में हुआ था, बस उतना ही होगा.
भाभी- पहली बार में भी तो बहुत हुआ था.

मैं- तो आपने बर्दाश्त कैसे किया था?
भाभी- तब तो तुम्हारे भाई ने जबरन पेल दिया था.
मैं- तो अब मैं पेल देता हूं.
भाभी- तू भी पेल दे … मगर आगे पेल … पीछे नहीं.

मैं- नहीं पीछे की दो … क्या मेरे लिए आप इतना नहीं कर सकती हो.
भाभी- ओके … पर इस वक्त नहीं … पीछे की बाद में मार लेना.
मैं- नहीं अभी.

वो मेरे बहुत मनाने पर मान गईं और तेल ले आईं. मैंने उनको अपने ऊपर खींचा और किस करने लगा.

उन्होंने जल्दी करने को बोला, तो मैंने गद्दा मोड़ कर औंधा लेटा दिया और उनकी गांड को ऊपर की तरफ उठा कर उनकी कमर पर और गांड पर किस करने लगा. भाभी मस्त होने लगीं. मैं उंगली से तेल उनकी गांड के छेद में लगाने लगा. तेल से भाभी की गांड को चिकनी करके पहले एक उंगली से गांड को ढीला किया, फिर दो उंगलियों से गांड को कुछ और फैलाया.

मैंने भाभी से पूछा- कुछ दर्द हो रहा क्या?
भाभी- नहीं … उंगली से तो नहीं हुआ.
मैंने कहा- अब लंड से भी नहीं होगा. बस आप साथ देना.

भाभी राजी हो गईं उनका डर भी कम हो गया.

मैंने लंड को तेल से चिकना करते हुए उनकी गांड पर लंड का सुपारा टिका दिया. फिर आगे हाथ बढ़ा कर एक हाथ से उनके एक चुचे को पकड़ कर धीरे से लंड को अन्दर फंसा दिया.

लंड का टोपा अन्दर जाते ही भाभी को दर्द हुआ और उनकी जोर की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईई … मम्मी रे … मर गई..’ की आवाज आई. मैं रुक गया और उनकी चूत की फांकों को अपने हाथ से मलने लगा और उनकी गर्दन पर किस करने लगा.

जब उनको कुछ दर्द कम हुआ, तो वे अपना हाथ पीछे मेरी गांड पर लाईं और नीचे की तरफ दबाया. मैंने भी जोर लगा कर धक्का मार कर आधा लंड अन्दर कर दिया.

उनको फिर से दर्द हुआ और वो ‘ऊऊऊन्ह … मोटा है … आह लगती है..’ करने लगीं. मगर मैंने लंड को निकाला नहीं … मैं बस उनके मम्मों को दबाने लगा और उनकी चूत को रगड़ने लगा.

उन्होंने धीरे से कराहते हुए कहा- एक ही बार में डाल कर 5-6 धक्के मार दो … मेरी परवाह मत करो!

ये सुनते ही मैंने लंड को बाहर को खींच कर बाकी लंड पर तेल की बूंदें टपकाईं और तेल की चिकनाई कुछ ज्यादा करते हुए एक जबरदस्त धक्का दे मारा.

भाभी की माँ चुद गई. उनकी तेज चीख निकल गई. उन्होंने अपने दांत भींचते हुए अपनी मुट्ठियां बंद कर लीं और ‘सीसीईईई … मर गई … इऊऊ … बहुत मोटा है … आआह्ह्ह … रुक जा..’ कहने लगीं.

मैंने लंड को निकाल कर फिर से पेल दिया और उनकी गांड में लंड को अन्दर बाहर करने लगा.

हर धक्के पर भाभी की आह निकल रही थी. वो खूब जोर से दर्द भरी चीख निकाल रही थीं.

मैं 8-10 धक्के लगा कर रुक गया और उनकी कमर को चाटने लगा. उनकी चूत को हाथ से मलने लगा और चूची को दबाने लगा.

जब भाभी को दर्द कम हुआ, तो मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा.

भाभी लगातार सिसकार रही थीं. जब उनको मजा आने लगा, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और फुल स्पीड में भाभी की गांड में धक्के मारने लगा. भाभी भी धीरे धीरे मस्त होती जा रही थीं और उनकी कामुक सिसकारियां मेरा जोश बढ़ा रही थीं. मैं लगातार उनकी चूचियों को दबा रहा था और चूत को रगड़ रहा था … जिसे उनको डबल मजा आ रहा था. भाभी मस्ती में गांड चुदवाने लगी थीं.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनकी गांड में ही झाड़ दिया और उनकी कमर पर लेट कर लंबी लंबी सांसें लेने लगा.

भाभी की भी हालत खराब थी. कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे. फिर भाभी लंगड़ाती हुई उठीं और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके बच्चों का नाश्ता तैयार करने चली गईं. बाद में भाभी ने बच्चों उठा कर तैयार किया और स्कूल भेज कर फारिग हो गईं.

तब तक मैं भी फ्रेश हो गया था. भाभी हम दोनों के लिए चाय लेकर आ गईं.

मैंने उनको अपनी गोद में बिठाया और हम दोनों चाय पीने लगे.

मैंने भाभी को छेड़ते हुए पूछा- भाभी और आपने किस किस के साथ किया है.
भाभी गुस्से में कहने लगीं- बहुत सारों के साथ किया है … मैं एक रंडी हूँ न. हर जगह मुँह मारती फिरती हूं.
मैं- मेरा वो मतलब नहीं था भाभी.
भाभी- तो क्या मतलब था. मैं क्या सब का लंड चूसती फिरती हूं.
मैं- वो तो आपने मेरा भी नहीं चूसा.

भाभी मेरे लंड को मरोड़ते हुए बोलीं- तेरे भाई के बाद तू दूसरा मर्द है, जिसने मुझे चोदा है.
मैं- अच्छा जी और औरतों ने?
भाभी- बस मेरी मामा की लड़की ने ही मेरे साथ लेस्बो किया था.
मैं- वो कैसे भाभी?
भाभी- मेरी मामा की लड़की रीमा मुझसे 4 साल छोटी है. वो साली स्कूल टाइम से ही सेक्स में एक्सपर्ट हो गई थी. उसी कुतिया ने मुझे सेक्स का सब ज्ञान दे दिया था.

ये कह कर भाभी हंसने लगीं.

भाभी ने रीमा यानि अपनी बहन का काल्पनिक नाम रखा था.

मैं- तो क्या किया उसने आपके साथ?
भाभी- ये बात मेरी शादी से पहले की है. वो हमारे यहां रहने आई थी. वो बहुत ही हंसमुख थी. तब मेरी उम्र 22 साल की थी. वो जब भी अकेले में मिलती थी, तो कभी मेरी चूची मसल देती थी, तो कभी चुत को सहला देती थी.

मैं- फिर?
भाभी- एक बार मेरी ताई के लड़की के रिश्ते वाले आने वाले थे. मैं कमरे में उसके सामने कपड़े बदलने लगी. मगर जैसे ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी, उसने मुझे अपने पास खाट पर खींच लिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची भींच दी. जिससे मेरी दर्द भरी सिसकारी ‘सीईईई..’ निकल गई. मगर अगले ही पल उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरी चुत को रगड़ने लगी. उसने दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए थे. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करना चहती है. ऐसा नहीं था कि मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर एक लड़की दूसरी लड़की के साथ ऐसा भी कर सकती है, ये मैंने कभी सोचा ही नहीं था.

मैं- फिर?
भाभी- जब उसने कुछ देर इस तरह से किया, तो मुझे मजा आने लगा. फिर उसने मेरे बाल छोड़ कर मेरी चूची पकड़ा ली और मेरी ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगी, दबाने लगी. फिर उसने मेरी ब्रा को निकाल कर कर चूची को नंगा किया और जोर जोर से दबाने लगी. इसी के साथ वो मेरी चुत में भी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. मैं तो पागल होने लगी थी. कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा. मेरी चुत से पानी निकल गया … और मैं शांत हो गई.

मैं- फिर?
भाभी- मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और कपड़े पहनने लगी. वो बोली कि अब तुम भी यही सब मेरे साथ करो. मैंने उससे रात में करने का बोला और ताई के पास चलने का कह कर उठ गई.

मैं- फिर रात में क्या हुआ?
भाभी- उस रात हम दोनों बहुत मस्ती की. इसके बाद भी हमने बहुत बार एक दूसरे के साथ ये सब किया. कुछ दिनों बाद वो चली गई और मैं अकेली ही अपनी चुत में उंगली करने लगी.

भाभी और उनकी बहन की कहानी सुन कर मैं गर्म हो गया था और लंड भी अकड़ गया था. मैं भाभी के चुचे रगड़ने लगा और उनको चूमने लगा. भाभी भी मस्ती में ‘ऊहह … आहहह..’ करने लगीं.

तभी मैंने उनकी सलवार को खोला और उनको घोड़ी बना कर सूट को ऊपर कर के लंड को अन्दर डाल कर चोदने लगा. भाभी भी गर्म हो गई थीं. वे मेरा साथ देने लगीं. मैं भाभी के मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा.

चूंकि इस समय दिन का वक्त था और कोई भी आकर हमारे रंग में भंग न डाल दे, इसलिए मैं फुल स्पीड में भाभी को चोदने लगा.

कुछ देर बाद भाभी जब थक गईं, तो उन्होंने अपने सिर को नीचे रख लिया. मैं उनको फुल स्पीड से चोदते हुए उनकी चुत में ही झड़ गया. कुछ देर बाद हम अलग हुए तो भाभी ने मेरे गाल पर चुटकी काटी और अपने कपड़े ठीक करके घर का काम करने लगीं.

भाभी जब तक अपना काम करके फ्री हुईं, तब तक 12 बज चुके थे. भाभी मेरे पास आईं. मैं अभी तक बिस्तर में ही पड़ा था. भाभी ने मेरे बाल खींचे और मुझे किस किया. मैंने भी उनको अपनी रजाई में खींच लिया और उनके चूचों को मसलने लगा.

भाभी मस्ती से सिस्कार कर रह गईं. फिर उन्होंने मुझे रोका और भाई को फ़ोन मिला दिया.

भाई के फ़ोन उठाने पर भाभी बोलीं- कहां हो?
भाई- अभी तो यहीं हूं. यहां पर काफी काम पड़ा है.
भाभी- तो फिर कब तक आओगे?
भाई- बस 6 बजे तक आ जाऊंगा.
भाभी- कंडोम ले आना रात के लिए.
भाई- तुझे कोई और काम नहीं क्या … रखता हूं … बाद में करूंगा.

मैंने भाभी से कहा- क्या बात है … बड़े कंडोम चाहिए.
भाभी- मुझे पता था, वो मना करेंगे क्योंकि 3 दिन पहले ही उन्होंने मुझे किया था.
मैं- क्या किया था?
भाभी- तेरी भाभी चोदी थी और क्या किया था.

मैं- अच्छा जी … और अब मैं चोदूंगा.
भाभी- तेरे बस की बात नहीं है.
मैं- तो अब तक क्या आप पड़ोसी के लंड पर झूल रही थीं.

भाभी ने हंस कर मेरे लंड को मरोड़ दिया. मैंने भी भाभी को पकड़ कर नीचे कर लिया और उनको रगड़ कर गर्म करने लगा. कुछ देर बाद मैंने भाभी की सलवार खोल कर लंड डाल दिया और उनको चोदने लगा. भाभी के सूट को ऊपर करके उनके मम्मे दबाने लगा. दस मिनट की धाकपेल चुदाई के बाद मैंने भाभी की चुत में ही सारा माल डाल दिया.

भाभी- तुम हर बार अन्दर ही माल छोड़ देते हो … अगर मेरे बच्चा रह गया तो?
मैं- तो 9 महीने मजा करना.
भाभी- हमेशा मस्ती में ही रहता है.
मैं- क्या करूँ, जिसके पास तुम्हारे जैसा माल हो … वो मस्ती ही करेगा.

भाभी- मैं माल हूं?
मैं- नहीं … आइटम नंबर वन हो आप!
भाभी- जा मैं तुझसे बात नहीं करती.
मैं- मत करो … बस एक बार और दे देना.

हम दोनों ऐसे ही मस्ती कर रहे थे, तब तक बच्चों की बस आ गई और भाभी बच्चों को लेने चली गईं.

फिर भाभी ने सबका खाना लगाया और सबने खाना खाया. बच्चे 2:30 बजे ट्यूशन पर चले गए और भाभी मेरे पास आ गईं.

भाभी बोलीं- जल्दी से एक बार और कर दो.
मैं- क्या?
भाभी- मेरी आरती.
मैं- मैं क्या कोई पुजारी हूं.

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- भोसड़ी के … जल्दी से इससे मेरे अन्दर डाल कर चुदाई कर दे … ज्यादा बकचोदी बाद में करना.
मैं- अच्छा लंड चाहिए, तो ऐसे बोलो न.

भाभी को मैं रगड़ने लगा.

भाभी ने खुद अपनी सलवार निकाल दी और मुझे सीधा लिटा कर मेरे ऊपर आ गईं. वो मुझे किस करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करके लंड अपनी चुत में खा गईं और धक्के लगाने लगीं.

मगर रात भर चुदने के कारण भाभी जल्दी झड़ गईं और मेरे ऊपर ही लेट गईं. मैंने उनको पलट कर नीचे किया और लंड डाल कर उनको चोदने लगा. कुछ देर बाद मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया.

हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर शाम को मैंने बाजार से भाभी के लिए गोली लाकर दी, जिसे भाभी ने खा ली.

शाम तक सब लोग आ गए थे. रात को कुछ नहीं हुआ और सुबह मैं अपने घर के लिए निकल गया.

अब भाभी से सिर्फ फ़ोन पर ही बात होती थीं. मौका मिलते ही हम फोन सेक्स भी कर लेते थे.

मैं अपने लिए पार्ट टाइम जॉब की ढूंढ रहा था और किस्मत से भाभी के मामा के गांव के पास एक फैक्ट्री में मुझे सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. मैं वहीं फैक्ट्री की कालोनी में रहने लगा.

मगर वहां पर गंदगी बहुत रहती थी … तो मैं उस गांव में ही कमरा ढूढ़ने लगा. मगर अच्छा सा कमरा नहीं मिल रहा था.

जब भाभी को मैंने ये बात बताई, तो उन्होंने अपने मामा से बात करके मुझे बताया कि उनके यहां एक कमरा खाली है.

जब मैंने वो कमरा देखा तो मुझे पसंद आ गया और मैंने वहां रहना शुरू कर दिया.

इधर भाभी की बहन रुबी (काल्पनिक नाम) जो कि बहुत चुलबुली थी, उससे मेरी कभी कभी बात होती थी.

फिर एक बार भाभी के दूसरे मामा के दूसरा बच्चा हुआ … तो भाभी भी वहां कुछ दिन के लिए रहने आ गईं.

पहली ही रात को भाभी का काम उठ गया. जब शाम को मैं ड्यूटी से आया तो भाभी का बेटा मेरे पास आ गया और मेरे साथ ही रहा. फिर मैंने उसको बातों से इस तरीके से पटाया कि भाभी रात को मेरे पास रहें और किसी के पता भी ना चले.

उस रात को मैंने खाना भी उनके घर ही खाया. फिर रात को 9:30 बजे में सोने चला, तो मेरा भतीजा मेरे साथ सोने की जिद करने लगा. जैसा कि मैंने उससे कहा था. मैं बच्चे की जिद को लेकर भाभी को भी साथ चलने के लिए कहने लगा.

जब वो नहीं माना, तो भाभी की मामी ने कहा कि तुम भी चली जाओ और जब ये सो जाए, तो आ जाना.

मामी ने उनको बच्चे के लिए दूध भी दे दिया.

मेरे कमरे में आकर उसको जबरदस्ती दूध पिला दिया … और वो मेरे साथ खेलते खेलते सो गया.

उसको सुला कर मैंने भाभी को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों को चूमते हुए कहा- आज तो एक नंबर की लग रही हो.
भाभी- तारीफ कर रहे हो या मस्का मार रहे हो.
मैं- मेरी क्या औकात कि मैं आपकी तारीफ करूं. मैं तो जो सच है, वो बता रहा हूँ.

भाभी- अच्छा तो जल्दी से एक अच्छे वाला सेक्स करो. बहुत दिन से प्यासी हूं.
मैं- जल्दी किस बात की है, आज रात हमारी है … मस्ती से करेंगे.
भाभी- बच्चू … ये मेरे मामा का घर है. आपकी सुहागसेज नहीं है.
मैं- तो बना दो सेज.
भाभी- पागल हो क्या कोई आ गया … तो मुश्किल हो जाएगी.

मैं- लाइट बंद रखेंगे. अगर कोई आया तो सोचेगा कि हम सो रहे हैं.
भाभी- लगता है जनाब का इरादा कुछ ठीक नहीं है.
मैं- इरादा का तो पता नहीं, पर आज रात आपका हाल बुरा होने वाला है.
भाभी- अच्छा … तो देर कैसी … क्या अब कोई पंडित मुहूर्त निकलेगा क्या?
मैं- निकालूँगा तो मैं … पर आपके अन्दर.
भाभी- तो निकाल न … रोका किसने है.

मैं उनको किस करने लगा और उनके मम्मों को मुट्ठी में भींचने लगा. भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनको खूब रगड़ा और धीरे से उनके सूट को निकाल दिया. भाभी की ब्रा के ऊपर से ही उनके चुचों को चूसने लगा.

भाभी ने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी और अपने पैरों से मेरे लोअर और निक्कर को उतार दिया. भाभी मेरी छाती को चूमने और चूसने लगीं और धीरे धीरे मेरे लंड पर जाकर उससे चूमने और चूसने लगीं. मुझे मजा आ गया क्योंकि आज भाभी मेरा लंड चूस रही थीं.

मैंने उनसे मजाक किया- लंड चूसना कब सीख लिया?
भाभी हंस दीं … मगर कुछ बोली नहीं.

फिर भाभी अपनी चूत को लंड पर रगड़ने लगीं. लंड चूसते चूसते कब उन्होंने अपनी सलवार और ब्रा उतारी, मुझे पता भी नहीं चला. तभी भाभी ने एकदम मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को लंड पर फंसाया और रगड़ने लगीं. मुझे ख़ूब मजा आ रहा था.

उन्होंने लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और एकदम से लंड पर बैठ गईं. लंड लेते ही भाभी ने एक मादक सिसकारी ली और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगीं. उनकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकलने लगी.

भाभी की इस हरकत ने मुझे एक अलग ही मजा दिया. भाभी अब अपनी फुल स्पीड से ऊपर नीचे होने लगीं और खूब मस्ती के साथ चुदाई का मजा लेने लगीं.

उस रात 3 बजे तक हम चुदाई की मस्ती करते रहे. मैं एक बार भाभी की गांड भी मारी.

सुबह भाभी चली गईं और वे जब तक वहां रहीं. हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई की मस्ती कर लेते थे.

अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने भाभी की बहन को चोदा.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
[email protected]

About Abhilasha Bakshi

Check Also

बारिश की रात भाभी के साथ (Barish Ki Raat Bhabhi ke Sath)

मैं दिल्ली से हूँ। मैं पेशे से इंजीनियर हूँ पर आजकल मुंबई के अंधेरी में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *