सारिका कंवल
कृपा अब सो चुका था, पर हेमा अभी भी जग रही थी। उसने मेरी तरफ देखा मैंने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं। वो शायद देख रही थी कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी तो नहीं गई।
मेरा किसी तरह का हरकत न देख उसने अपनी साड़ी के अन्दर हाथ डाल और अपनी योनि से खेलने लगी थोड़ी देर में वो अपने शरीर को ऐंठते हुए शांत हो गई।
मैं यूँ ही खामोशी से उसे देखती रही पर काफी देर उनकी कामक्रीड़ा देख मुझे भी कुछ होने लगा था। साथ ही एक ही स्थिति में सोये-सोये बदन अकड़ सा गया था, तो मैंने सोचा कि अब थोड़ा उठ कर बदन सीधा कर लूँ, सो मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि सुरेश जगा हुआ है और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
मैं उसे नजरअंदाज करते हुए उठ कर चली गई। पेशाब करके वापस आई और लेट गई। तब सुरेश ने धीरे से पूछा- क्या हुआ नींद नहीं आ रही क्या?
मैंने कहा- मैं तो सो चुकी थी, अभी नींद खुली।
तब उसने कहा- तुमने कुछ देखा क्या?
मैंने कहा- क्या?
उसने कहा- वही.. जो तुम्हारे बगल में सब कुछ हुआ?
मैं अनजान बनती हुई बोली- क्या हुआ?
उसने कहा- तुम्हें सच में पता नहीं या अनजान बन रही हो?
मैंने कहा- मुझे कुछ नहीं पता, मैं सोई हुई थी।
उसने कहा- ठीक है, चलो नहीं पता तो कोई बात नहीं.. सो जाओ!
मैं कुछ देर सोचती रही फिर उससे पूछा- क्या हुआ था?
उसने कहा- जाने दो, कुछ नहीं हुआ।
मैंने जोर देकर फिर से पूछा तो उसने कहा- तुम्हारे बगल में हेमा और कृपा चुदाई कर रहे थे।
मैंने उसे कहा- तुम झूठ बोल रहे हो, कोई किसी के सामने ऐसा नहीं करता.. कोई इतना निडर नहीं होता।
उसने तब कहा- ठीक है सुबह हेमा से पूछ लेना, कृपा ने हेमा को दो बार चोदा।
मैं समझ गई कि सुरेश भी उन्हें देख रहा था, पर मैं उसके सामने अनजान बनी रही। फिर मैं खामोश हो गई और मेरा इस तरह का व्यवहार देख सुरेश भी खामोश हो गया।
मैं हेमा और सुरेश का खेल देख कर उत्तेजित हो गई थी। फिर मैंने सोचा कि जब मैं उत्तेजित हो गई थी, तो सुरेश भी हुआ होगा। यही सोचते हुए मैं सोने की कोशिश करने लगी, पर नींद नहीं आ रही थी।
कुछ देर तक तो मैं खामोश रही फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने सुरेश से पूछा- तुमने क्या-क्या देखा?
उसने उत्तर दिया- कुछ ख़ास तो दिख नहीं रहा था क्योंकि तुम बीच थीं, पर जब कृपा हेमा के ऊपर चढ़ा तो मुझे समझ आ गया था कि कृपा हेमा को चोद रहा है।
मैं तो पहले से ही खुद को गर्म महसूस कर रही थी और ऊपर से सुरेश जैसी बातें कर रहा था, मुझे और भी उत्तेजना होने लगी, पर खुद पर काबू किए हुई थी।
तभी सुरेश ने कहा- तुमने उस वक़्त मेरे सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया था?
मैंने कहा- मुझे डर लगता था इसलिए।
फिर उसने कहा- अगर तुम जवाब देतीं, तो क्या कहतीं.. ‘हाँ’ या ‘ना’..!
मैंने उसे कहा- वो पुरानी बात थी, उसे भूल जाओ मैं सोने जा रही हूँ।
यह बोल कर मैं दूसरी तरफ मुँह करके सोने चली गई, पर अगले ही पल उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहा- सारिका, मैं आज भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।
मैंने उसे धकेलते हुए गुस्से में कहा- क्या कर रहे हो.. तुम जानते हो कि मैं शादीशुदा हूँ।
वो मुझसे अलग होने का नाम नहीं ले रहा था उसने मुझे जोरों से पकड़ रखा था और कहा- हेमा भी तो शादीशुदा है, फिर तुम उसकी मदद क्यों कर रही हो। मुझे मालूम है हेमा और कृपा की यहाँ सम्भोग करने की इतनी हिम्मत इसलिए हुई क्योंकि तुमने ही मदद की है।
अब मेरे दिमाग में यह डर बैठ गया कि सुरेश कहीं किसी को बता तो नहीं देगा कि हेमा और कृपा के बीच में कुछ है और मैं उनकी मदद कर रही हूँ।
सुरेश कहता या नहीं कहता पर मैं अब डर गई थी सो मैंने उससे पूछा- तुम क्या चाहते हो?
उसने कहा- मैं तुमसे अभी भी प्यार करता हूँ और यह कहते-कहते उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे होंठों से होंठ लगा दिए।
उसके छूते ही मेरे बदन में चिंगारी आग बनने लगी।
हालांकि मैं जानती थी कि मैं शादीशुदा हूँ, पर मैं डर गई थी और मैंने सुरेश का विरोध करना बंद कर दिया था।
मैंने उससे कहा- प्लीज ऐसा मत करो, मैं शादीशुदा हूँ और बगल में हेमा और कृपा हैं। उनको पता चल गया तो ठीक नहीं होगा।
उसने मुझे पागलों की तरह चूमते हुए कहा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, बस तुम चुपचाप मेरा साथ दो.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करूँगा।
और वो मेरे होंठों को चूमने लगा और मेरे स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।
मैं भी उसके हरकतों का कितनी देर विरोध कर पाती, क्योंकि हेमा और कृपा का सम्भोग देख कर मैं भी गर्म हो चुकी थी।
मैंने भी उसका साथ देने में ही भलाई सोची, पर मेरे मुँह से विरोध भरे शब्द निकलते रहे।
तब उसने कहा- तुम अगर ऐसे ही बोलती रहीं तो कोई न कोई जग जाएगा।
तो मैंने अपने मुँह से आवाजें निकालना बंद कर दीं।
उसने अब अपनी कमर को मेरी कमर से चिपका दिया और लिंग को पजामे के अन्दर से ही मेरी योनि के ऊपर रगड़ने लगा।
उसने अब मेरे स्तनों को छोड़ कर हाथ को मेरी जाँघों पर फिराते हुए सहलाने लगा। फिर मेरी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा मेरी नंगी मांसल जाँघों से खेलने लगा।
उसके इस तरह से मुझे छूने से मेरी योनि भी गीली होने लगी थी और मैं भी उसे चूमने लगी।
मैंने उसे कस कर पकड़ रखा था और हम दोनों के होंठ आपस में चिपके हुए थे।
तभी उसने मेरी पैंटी को खींचना शुरू किया और सरका कर घुटनों तक ले गया। फिर अपने हाथ से मेरी नंगे चूतड़ को सहलाने लगा और दबाने लगा मुझे उसका स्पर्श अब मजेदार लगने लगा था।
उसके स्पर्श से मैं और भी गर्म होने लगी थी और मैंने एक हाथ से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और उसके लिंग को बाहर निकाल कर हिलाने लगी।
अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था, सो मैंने उससे कहा- सुरेश अब जल्दी से चोद लो.. वरना कोई जग गया तो देख लेगा..!
उससे भी अब रहा नहीं जा रहा था सो मुझे सीधा होने को कहा और मेरी पैंटी निकाल कर किनारे रख दी।
मैंने अपने पैर मोड़ कर फैला दिए और सुरेश मेरे ऊपर मेरी टांगों के बीच में आ गया।
उसने हाथ में थूक लेकर मेरी योनि पर मल दिया फिर झुक कर लिंग को मेरी योनि के छेद पर टिका दिया और धकेला, उसका आधा लिंग मेरी योनि में चला गया था।
अब वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे पकड़ कर मुझसे कहा- तुम बताओ न, क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी?
मैंने भी सोचा कि यह आज मानने वाला नहीं है सो कह दिया- हाँ.. करती थी.. पर डर लगता था!
उसने फिर मुझे प्यार से चूमा और अपना पूरा लिंग मेरी योनि में धकेल दिया और कहा- मैं तो तुम्हें आज भी प्यार करता हूँ और करता रहूँगा, बस एक बार कहो ‘आई लव यू..!’
मैं भी अब जोश में थी सो कह दिया ‘आई लव यू..!’
मेरी बात सुनते ही उसने कहा- आई लव यू टू…!
और जोरों से धक्के देने लगा। मैं उसके धक्कों से सिसकियाँ लेने लगी, पर आवाज को दबाने की कोशिश भी करने लगी।
उसका लिंग मेरी योनि में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके धक्कों पर छटपटाने लगी। कभी टाँगें ऊपर उठा देती, तो कभी टांगों से उसे जकड़ लेती, कभी उसे कस कर पकड़ के अपनी और खींचती और अपने चूतड़ उठा देती। सुरेश को भी बहुत मजा आ रहा था वो भी धक्के जोर-जोर से लगाने लगा था।
हम दोनों मस्ती के सागर में डूब गए। फिर सुरेश ने कहा- सारिका तुम्हारी बुर बहुत कसी है, बहुत मजा आ रहा है चोदने में..!
मैंने भी उसे मस्ती में कहा- हाँ.. तुम्हारा लण्ड कितना सख्त है.. बहुत मजा आ रहा है.. बस चोदते रहो ऐसे ही..आह्ह..!
मैं इतनी गर्म हो गई थी कि सुरेश से सम्भोग के दौरान धीमी आवाज में कामुक बातें भी करने लगी थी। मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे मेरे सोचने समझने कि शक्ति खत्म हो गई है। बस उसके लिंग को अपने अन्दर महसूस करना चाह रही थी।
वो मेरी योनि में अपना लिंग बार-बार धकेले जा रहा था और मैं अपनी टांगों से उसे और जोरों से कसती जा रही थी और वो मेरी गर्दन और स्तनों को चूमता हुआ मुझे पागल किए जा रहा था।
उसने मुझसे कहा- तुमने बहुत तड़फाया है मुझे… मैं तुम्हें चोद कर आज अपनी हर कसर निकाल लूँगा… तुम्हारी बुर मेरे लिए है।
मैंने भी उसे कहा- हाँ.. यह तुम्हारे लिए है मेरी बुर.. इसे चोदो जी भर कर और इसका रस निकाल दो..!
हम दोनों बुरी तरह से पसीने में भीग चुके थे। मेरा ब्लाउज गीला हो चुका था और हल्की-हल्की हवा चलने लगी थी। सो, जब मेरे ऊपर से हवा गुजरती थी, मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था। मेरी योनि भी इतनी गीली हो चुकी थी कि सुरेश का लिंग ‘फच.. फच’ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था और पसीने से मेरी जाँघों और योनि के किनारे भीग गए थे।
जब सुरेश अपना लिंग बाहर निकलता तो हवा से ठंडी लगती, पर जब वापस अन्दर धकेलता तो गर्म लगता। ये एहसास मुझे और भी मजेदार लग रहा था।
मैं अब झड़ने को थी, सो बड़बड़ाने लगी- सुरेश चोदो.. मुझे.. प्लीज और जोर से चोदो.. बहुत मजा आ रहा.. है.. मेरा पानी निकाल दो…
वो जोश में जोरों से धक्के देने लगा और कहने लगा- हाँ.. मेरी जान चोद रहा हूँ.. आज तुम्हारी बुर का पानी निचोड़ दूँगा!
मैं मस्ती में अपने बदन को ऐंठने लगी और उसे अपनी ओर खींचने लगी, अपनी कमर को उठाते हुए और योनि को उसके लिंग पर दबाते हुए झड़ गई।
मैं हल्के से सिसकते हुए अपनी पकड़ को ढीली करने लगी, साथ ही मेरा बदन भी ढीला होने लगा पर सुरेश ने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर खींचा और धक्के देता रहा।
उसने मुझे कहा- क्या हुआ सारिका, तुम्हारा पानी निकल गया क्या?
मैं कुछ नहीं बोली, बस यूँ ही खामोश रही जिसका इशारा वो समझ गया और धक्के जोरों से देने लगा।
करीब 5 मिनट वो मुझसे ऐसे ही चोदता रहा फिर मैंने उसके सुपारे को अपनी योनि में और भी गर्म महसूस किया, मैं समझ गई कि वो भी अब झड़ने को है। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं और धक्के इतनी तेज़ जैसे ट्रेन का पहिया…!
फिर अचानक उसने रुक-रुक कर 10-12 धक्के दिए, फिर उसका जिस्म और भी सख्त हो गया और उसने मेरे चूतड़ को जोरों से दबाया और उसकी सांस कुछ देर के लिए रुक गई और मेरी योनि के अन्दर एक गर्म धार सी छूटी। फिर उसने धीरे-धीरे सांस लेना शुरू किया और अपने लिंग को मेरी योनि में हौले-हौले अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं समझ गई कि वो भी झड़ चुका है।
सुरेश धीरे-धीरे शान्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
मैंने उससे पूछा- हो गया?
उसने कहा- हाँ.. मैं झड़ गया.. पर कुछ देर मुझे आराम करने दो अपने ऊपर..!
मैंने उससे कहा- लण्ड बाहर निकालो.. मुझे अपनी बुर साफ़ करना है।
उसने कहा- कुछ देर रुको न.. तुम्हारी बुर का गर्म अहसास बहुत अच्छा लगा रहा है, तुम्हारी बुर बहुत गर्म और कोमल है।
मैंने उसे यूँ ही कुछ देर लेटा रहने दिया फिर उसे उठाया और अपनी बुर साफ़ की और कपड़े ठीक करके सो गई।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]