सेक्स की चाहत में पैसे का तड़का- 2

सुहागरात पर गाँव की लड़की की चुदाई का मजा लेने के बाद उसका पति उसकी चूत का दीवाना हो गया. उसे क्या पता था कि उसकी नयी नवेली बीवी कितनी चालू है.

गाँव की लड़की की चुदाई कहानी के पहले भाग
गाँव में औरतों लड़कियों की वासना
में आपने पढ़ा कि
गाँव के लड़के की शादी खाई खेली लड़की से हो गयी. सुहागरात पर कुछ ख़ास नहीं हुआ तो फेरा डालने आई लड़की ने अपने ताऊ के घर में अपनी सुहागरात मनायी.

अब आगे गाँव की लड़की की चुदाई का मजा:

सुबह गौरी जल्दी उठी, उसे मालूम था कि उसके ताऊजी के घर में तो सब जाग गए होने और कोई न कोई चाय लेकर आता होगा।

वो मुंह हाथ धोकर तैयार हुई और उसने राजू को भी उठा दिया।

तभी दरवाजे पर आवाज लगी।

गौरी ने बिस्तर को ठीक किया और दरवाजा खोलने चली गयी।

उसकी बहन थी, वो चाय लायी थी और कह गयी कि जीजा को लेकर जल्दी आ जा, माँ गर्म पकौड़े बना रही है।

गौरी दरवाजा बंद करके आई तो राजू आ गया.
उसने आते ही गौरी को फिर पकड़ लिया और उसका लहंगा उठा कर उसकी चूत को चूम लिया।

गौरी भी गर्म थी, उसने कहा- पहले चाय पी लो, फिर साथ साथ नहायेंगे।
पर राजू नहीं माना, जबरदस्ती गौरी के कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया।

गौरी बोली- चाय ठंडी हो जाएगी.
तो राजू ने गौरी को अपनी गोद में बिठाया और अपना लंड उसकी चूत में कर दिया और फिर गौरी से बोला- चल ऐसे ही चाय पिएंगे।

अब ऐसे चाय क्या खाक पी जाती।
एक दो घूंट में ही चाय गुड़क कर राजू ने गौरी की बढ़िया वाली चूद चुदाई करी.

पर अबकी बार गलती से वो अंदर ही रह गया और गौरी की चूत उसके वीर्य से भर गयी।
गौरी उससे नाराज हुई- तुमने ये क्या कर दिया?
राजू चुप था।

फिर गौरी ने उसके गालों पर पप्पी देकर कहा- कोई बात नहीं, मैं दवाई ले लूँगी।
राजू ने सोचा कि उसकी बीवी बड़ी समझदार है, उसे ये भी मालूम है की गर्भ से बचने को क्या दवाई ली जाती है।

अब बेचारे को क्या मालूम कि गौरी ने जितने समोसे नहीं खाये जितनी उसने गर्भ रोकने की गोली खाई हैं।

गाँव लौटते में दवाई की दुकान से राजू ने दवाई और कंडोम ले लिए।
घर पर उन्हें आया देखकर माँ बहुत खुश हुई।

खाना खाते समय राजू ने कहा- मैं अगले हफ्ते फरीदाबाद जाऊंगा, काम शुरू हो गए हैं।
माँ ने कहा- तू अकेला चला जा, गौरी को बाद में ले जाना!
पर वो बोला- नहीं, वहाँ रहने की कोई समस्या नहीं है, कारखाने के पास ही मकान मिल जाएगा। तब तक हम अपने शादीशुदा दोस्त के पास रुक जाएँगे।

अब सुशीला क्या बोलती … उसकी भी तो चुदाई पिछले पंद्रह दिनों से बंद थी।
राजू ने एकांत देखकर सुशीला से कहा कि अब उसे चाचा के साथ शादी कर लेनी चाहिए।

सुशील बोली- अब इस उम्र में … सब क्या कहेंगे। बाद में देखेंगे।

रात को अपनी चुदाई से निबट कर राजू एक बार नीचे झाँकने गया तो उसे माँ के कमरे से कसमसाहट की आवाजें आयीं।
बल्कि आज उसे लगा कि माँ चाचा की चुदाई ज्यादा जोरदार हो रही है।

वो वापिस ऊपर आ गया तो गौरी बोली- कहाँ चले गए थे?
तो राजू बोला- जड़ी बूटी खाने गया था, अब एक बार फिर करते हैं।

गौरी हंस कर बोली- तुम्हारी छत टूट जाएगी, ज्यादा धकापेल करोगे तो!
राजू बोला- चल 69 में करेंगे।

गौरी ने भोली सूरत बना कर पूछा- ये क्या होता है?
राजू ने उसे लिटाकर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया और लगा उसकी चूत को चपर चपर चाटने।

गौरी को बहुत मजा आ रहा था।
वो बोली- तुम तो बहुत बदमाश हो, पता नहीं तुम्हें ये सब कौन सिखाता है।

उधर राजू को लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था। उसे क्या मालूम था कि गौरी के सभी आशिक उसके लंड चूसने की कला के दीवाने थे।
वो तो लंड चूस चूसकर सारा माल निकाल देती थी और गटक जाती थी।

अब राजू सीधा हो गया और चढ़ कर गौरी को चोदने लगा।
गौरी बोली- अगर तुम इसी तरह रोज 3-4 बार चोदोगे तो फिर फरीदाबाद में कमरा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेरा छेद ही इतना चौड़ा हो जाएगा कि तुम इसी में रह लेना।

अगले हफ्ते राजू ने बिरादरी के बुजुर्गों के एक पंचायत करके और अपनी माँ की अकेलेपन का हवाला देकर माँ को चाचा के साथ कर दिया।
मतलब अब वे दोनों समाज की निगाह में पति पत्नी की तरह रह सकते थे।

अगले दिन राजू गौरी को लेकर सामान सहित फरीदाबाद गया और कारखाने पहुंचा।

वहाँ उसे मालूम पड़ा कि मालिक की घरवाली की मौत कोरोना से हो गयी थी।
मालिक ज्यादा उम्र के नहीं थे; लगभग 40-45 साल के रहे होंगे।

उन्होंने राजू को तुरंत काम पर रख लिया और बल्कि उसे अपनी कोठी में ही पीछे दो कमरे रहने को दे दिये।
राजू ने भी उनसे कहा- गौरी उनके घर की साफ सफाई और खाने का काम देख लेगी।

मालिक अनिल कुमार बहुत खुश हुए बल्कि उन्होंने गौरी को 1100/- भी दिये।

अब राजू की ज़िंदगी मजे से गुजरने लगी। दिन में कारखाने में काम करता और रात को जम कर चुदाई करता।
गौरी चुदाई में उसका भरपूर साथ देती।

अब कोरोना का डर धीरे धीरे कम हो रहा था तो राजू गौरी को लेकर रात को मोटरसाइकल पर खूब घुमाता।

चूंकि उसके मालिक अनिल और उनकी 65 वर्षीया माँ ही रहते थे तो उन्होंने जिद करके गौरी से कहा कि वो रात को अपना खाना भी उन्हीं के खाने से ले जाया करे।
अनिल कुमार तो रात को पेग लगा कर जल्दी ही सो जाते।

गौरी को उनके कमरे में सफाई के दौरान ढेर सारी पॉर्न मेगज़ीन दिखीं।
वो समझ गयी की अनिल कुमार रंगीन आदमी हैं।

उसने महसूस भी किया था कि अनिल कुमार की निगाहें उसके जिस्म को टटोलती हैं।

गौरी ने एक दो बार राजू से कहा तो राजू बोला कि ये उसका वहम है। और फिर माँ जी के रहते उसे डर क्या है।

पर गौरी खेली खाई थी; उसने नया स्वाद लेने के लिए धीरे धीरे अनिल कुमार को अपने जिस्म की गर्मी का अहसास कराना शुरू कर दिया।
कभी वो पौंछा लगाते समय पल्लू गिरा देती, कभी उन्हें नाश्ता-खाना खिलाते समय ज्यादा नजदीक चली जाती।

अब अनिल कुमार की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। वो चाय का प्याला पकड़ते समय उसकी उँगलियाँ छू लेते थे।

एक दिन माँजी को बुखार था तो वो कमरे से निकलीं नहीं।
गौरी ने उनका सिर दबा दिया.

ये देख के जब वो अनिल कुमार के कमरे में चाय देने आई तो अनिल कुमार कराह के बोले- आज तो सिर में बड़ा दर्द है।
गौरी समझ गयी कि वो क्या चाहते हैं।

उसने उनसे कहा- साहब, आप आराम कुर्सी पर लेट जाइए, मैं सर दबा देती हूँ।
अनिल कुमार ना नुकुर करते हुए इजी-चेयर पर अधलेटे हो गए।

गौरी ने उनके सिर की बड़े अच्छे से मालिश की। गौरी ने उनके सिर के पीछे गर्दन पर भी अपने नाजुक कोमल हाथों से मालिश की।
वो देख रही थी कि अनिल कुमार के पजामे में उभार बहुत बढ़ गया है।

अब उसे लगा कि कहीं अनिल कुमार उसे अभी पकड़ के न चोद दें।
वो उनसे नाश्ता तयार करने को कह कर आ गयी।

अनिल कुमार नहाने चले गए तो गौरी चाय का कप लेने कमरे में आई।
उसे बाथरूम से आह ऊह की हल्की सी आवाज़ आ रही थी।

अनिल कुमार नाश्ता करके कारखाने चले गए।

बाथरूम की सफाई करते समय गौरी को शावर के नीचे चिपचिपा सा कुछ पड़ा दिखा।
वो समझ गयी कि अनिल कुमार ने मूठ मारा है।
वो मुस्कुरा दी कि अब शिकार फंस गया है।

शाम को राजू ने आते ही उसे ये खुशखबरी दी कि आज अनिल कुमार ने उसका वेतन दो हजार रुपया बढ़ा दिया है और उसे हेड सुपर्वाइज़र बना दिया है।

रात को गौरी ने राजू को जम कर सेक्स का मजा दिया।
राजू भी हैरान था कि आज का दिन कितना बढ़िया है।
दिन में भी इनाम और रात को भी इनाम!

आज गौरी ने उससे जम कर मम्मे चुसवाए। वो राजू को बार बार उकसाती रही कि और ज़ोर से चूसो।
उसे दर्द भी हो रहा था पर वो चाहती थी कि उसके मम्मे आज चोटिल हो जाएँ.

और हुआ भी यही … सुबह उसने राजू से कहा- देखो तुमने आज अपने दांतों से मेरे मम्मे काट दिये।
हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं था।
पर राजू ने उसे सॉरी बोला।

गौरी ने राजू से कहा कि किसी लेडी डॉक्टर से उसने बात की है तो वो दोपहर को दो घंटे के लिए आ जाये, उसे डॉक्टर से ‘कॉपर टी’ लगवानी है, जिससे गर्भधारण का डर न हो।
राजू ने हाँ कर दी और चला गया।

गौरी अनिल कुमार के घर आज थोड़ा देर से गयी।

वहाँ अनिल कुमार बड़े बेचैन थे, बोले- कहाँ रह गयी थीं तुम? चाय तुम्हारे हाथ की ही अच्छी लगती है।
गौरी मुस्कुरा दी।

जब वो उनकी चाय लेकर कमरे में गयी तो अनिल कुमार उसके मम्मे घूर रहे थे।
बिना ब्रा की कैद के उसके मम्मों के निपप्ले तने हुए थे।

गौरी समझ गयी वो क्या देख रहे हैं तो उसनी अपनी चुन्नी से मम्मे ढक लिए।
ये देख कर अनिल कुमार सकपका गए।

गौरी ने पूछा- सिर दर्द कैसा है?
अनिल कुमार बोले- लगता है, बुखार आएगा, बदन दर्द कर रहा है।

गौरी बोली- आप चाय पीकर लेट जाइए, आज कारखाने मत जाइयेगा।
अब अनिल कुमार सोच रहे थे कि शायद वो कहेगी कि आप लेट जाइए, मैं बदन दबा दूँगी।

गौरी ने अनिल कुमार को चंपी मालिश करनी शुरू की तो अनिल कुमार ने आनंद से आँखें बंद कर लीं।
उनके पाजामे में उभार बढ़ना शुरू हो गया।

गौरी ने उनसे धीरे से कहा- सर, आपने राजू को इनाम दिया, मेरे को कोई इनाम नहीं दिया?
अनिल कुमार ने आँखें खोली और बाहर देखते हुए कि कोई नहीं है, गौरी के हाथ पकड़ लिए और बोले- बता तुझे क्या चाहिए?

गौरी और नीचे झुकी और अपनी नाजुक उँगलियाँ से उनके कंधे दबाती हुई अपनी गर्म साँसें उनके सिर पर डालती हुई इतराती हुई बोली- मुझे क्या मालूम, मैं किस लायक हूँ।
अनिल कुमार ने सोचा कि मछली फँस गयी।

वो उठे और अलमारी से एक सोने की अंगूठी निकाल लाये और उसे दे दी।
गौरी की आँखें फट गईं।

कम से कम 15 हजार की तो होगी ही वो अंगूठी।
गौरी बोली- नहीं, ये मैं नहीं ले सकती।

अनिल कुमार ने हिम्मत करके उसके गालों पर हाथ फेरा और कहा- तू मेरा कितना ख्याल रखती है, ले ले। हाँ किसी से कहना नहीं। राजू से भी नहीं।
गौरी बोली- नहीं कहूँगी।
उसने एक बार बाहर देखा और अंगूठी अपनी चुन्नी में बांध ली।

वो बाहर जाने लगी तो अनिल कुमार ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- मैं बहुत अकेला हूँ, तू मेरा ख्याल रखा कर, मैं तेरी झोली रुपयों से भर दूँगा।
गौरी पलटी और हड़बड़ाहट में सीधे उनकी गोदी में जा गिरी।

उसने मुसकुरा कर उन्हें एक चुंबन दे दिया और बाहर भाग गयी।

पर अच्छा ही हुआ क्योंकि माँजी अपने कमरे से निकाल कर उधर ही आ रही थीं।

इधर अनिल कुमार बहुत बेचैन हो उठे।
आज उनकी किस्मत उनका साथ दे रही थी।

उनकी माँ बोली की मैं नहाने जा रही हूँ, फिर गौरी को लेकर मंदिर जाऊँगी।

उनके बाथरूम में घुसते ही अनिल कुमार ने घर के नौकर श्याम को किसी काम से बाहर सड़क तक भेज दिया और गौरी को इशारे से कमरे में बुला लिया। अनिल कुमार ने गौरी को अपने से चिपटा लिया।

गौरी बचने की पूरी कोशिश करती रही कि कोई आ जाएगा।
पर अनिल कुमार तो आज बेबस थे। वो किसी भी कीमत पर गौरी के शरीर को हासिल करना चाहते थे।

उन्होंने गौरी को कस के पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगे।
गौरी छटपटाने का ड्रामा करते हुए उनसे चिपटती रही।

अनिल कुमार ने गौरी का कुर्ता जबरदस्ती उतार दिया।
गौरी के दोनों कबूतर आजाद हो गए।

इतने गोरे और मांसल वक्ष अनिल कुमार ने देखे नहीं थे।
अनिल कुमार तो बौरा गए और पागलों की तरह चूसने चाटने लगे।

गौरी बहुत कसमसाई कि साहब धीरे करो, दर्द हो रहा है।
पर अनिल कुमार ने एक न सुनी। वो तो दांतों से भी काट रहे थे।
एक बार तो गौरी की चीख निकल गयी।

काट काट कर अनिल कुमार ने गौरी के मम्मे लाल कर दिये।

तभी मेन गेट पर आवाज आई, शायद नौकर आ गया था।

गौरी ने छूटना चाहा पर अनिल कुमार ने उसे न छोड़ा, बल्कि अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।

तब गौरी ने अब अपना हथियार चलाया और बोली- साहब, आपने ये क्या कर दिया, देखो मेरे मम्मों पर काट काट कर दांतों के निशान बना दिये, अब मैं राजू को क्या जवाब दूँगी।
वो रोने का नाटक करने लगी- साहब, राजू तो मुझे मार डालेगा।

कहते हुए उसने अपना कुर्ता पहन लिया और बोली- मैं क्वार्टर जा रही हूँ, माँ जी से कह दीजिएगा कि अब मैं काम पर नहीं आया करूंगी।

दोस्तो, आपको इस गाँव की लड़की की चुदाई की कहानी में जरूर मजा आ रहा होगा. आप अपने विचार कमेंट्स और मेल में प्रकट करें.
[email protected]

गाँव की लड़की की चुदाई की कहानी का अगला भाग: सेक्स की चाहत में पैसे का तड़का- 3

About Abhilasha Bakshi

Check Also

Sali aur uski saheli

Sali aur uski saheli

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *