लंड चुसवाने का सपना हकीकत में बदला (Lund Chuswane Ka Sapna Haqikat Me Badla)

वैसे तो मैं सेक्स में बहुत अधिक रूचि नहीं रखता हूँ.. परन्तु जब कोई सेक्सी स्त्री या महिला मेरे सामने होती है.. तो मेरा लन्ड हिलोरें मारने लगता है, उस वक्त मेरे अन्दर एक अजीब सा रोमान्च उठता है।
इसी रोमांच के साथ मैं अपने साथ एक घटी घटना को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।

यह घटना तब की है.. जब मैं अकेला ट्रेन में सफर कर रहा था।

मैं एक छोटे से शहर में रहता था।

एक दिन मेरे घर वालों ने मुझे शहर से बाहर जाने और पढ़ाई करने के लिए कहा।
अगले ही दिन मैं अपने शहर को छोड़ने के लिए तैयार हो गया।

रात में लगभग 9 बज रहे थे, ठण्ड का मौसम था।
मेरी गाड़ी अभी दो घंटे लेट थी, यहाँ स्टेशन पर बहुत भीड़ थी।
सभी लोग दूसरी ट्रेन का इन्तजार कर रहे थे।

मुझे बैठने के लिए कहीं जगह नहीं मिली.. तो मैं वहीं खड़ा रहा।
मेरे पैर थकान के चलते खड़े नहीं हो पा रहे थे।

दो घंटे खड़े होने के बाद ट्रेन आई।

मैं ट्रेन में चढ़ा.. थोड़ी सी जगह मिलते ही मुझे जोर की नींद आ गई।

मैंने एक सपना देखा।
मैंने देखा कि मैं स्वर्ग के देवता इंद्र के साथ उनके विमान पर सफर कर रहा हूँ।

कुछ ही देर में हम इन्द्रपुरी में थे।
मुझे एक सिंहासन पर बिठाया गया।

मैं वहाँ की चकाचौंध में खो सा गया था..

तभी मुझे लगा कि मेरे शरीर पर किसी प्रकार की गुदगुदी हो रही थी।

जब मैंने मुड़कर देखा तो दंग रह गया।

एक सुंदर सी कन्या मेरी जाघों को सहला रही थी। उसकी सुंदरता और मेरे शरीर में हो रही गुदगुदी से मेरा लम्बा लंड हिलोरें मारने लगा, मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा।

तभी एक जोर की सीटी की आवाज सुनाई पड़ी।
यह ट्रेन के इंजन की सीटी थी।

तभी मैं चौक गया.. मुझे मेरे लंड पर अब भी वो हाथ महसूस हो रहा था।

जब मैं उस हाथ के मालिक को देखा तो दंग रह गया। वो एक 60 साल का बुड्डा था।

मैंने उससे कहा- दादाजी ये मेरा सामान है.. आप गलत दिशा में जा रहे हैं।

उसने मुझे मुड़कर देखा और बोला- मैं बस चैक कर रहा था कि अभी इन मशीनों में जंग तो नहीं लग गई।

मैंने कहा- अभी ये मशीन उस ‘जंग’ में शामिल ही नहीं हुई है तो जंग किधर से लगेगी।

वो मशीन देखने की जिद करने लगा।
मैंने पूछा- देख कर क्या करोगे?
वो बोला- चूसना है।

मैंने बोला- तुम सच में चूसोगे न।
उसने बोला- हाँ सच में चूसना चाहता हूँ।

मैंने बोला- ठीक है.. तुम पहले टॉयलेट में चलो.. मैं उधर ही आता हूँ।

फिर जैसे ही गया उसके पीछे मैं भी टॉयलेट में घुस गया और तुरंत ही मैंने अपने पैन्ट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में अपना सुपारा लगा दिया।

उसने जैसे ही मेरा सुपारा मुँह में भरा कि मैंने एक जोरदार झटका लगा दिया।
वो मजे से चूसने लगा।
मुझे उसकी लार से कुछ अजीब सा लगा।

अब मैं अपने मन में उन अप्सराओं को सोचने लगा। मैं अपने मन में अप्सराओं को याद उसके मुँह को बहुत जोर से चोद रहा था।

कुछ ही देर में मैं झड़ने वाला था, मैं उसे और जोर-जोर से चोदने लगा।
फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में ही छोड़ दिया।

उसका पूरा मुँह मेरे माल से भर गया था।
तभी अगला स्टेशन आ गया और वह उतर गया।

बस इतनी सी थी यह कहानी।
मेरी अगली कहानी के लिए इन्तजार करें।

आप अपने कमेन्ट [email protected] पर भेज सकते हैं। मैं फेसबुक पर भी हूँ.. उधर मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज सकते हैं।

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