देसी हॉट टीन गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे दोस्त ने मेरी दोस्ती एक बहुत गर्म लड़की से करवाई. एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए अपने घर के पास बुलाया.
दोस्तो, मेरी इस देसी सेक्स कहानी में आपका एक बार फिर से स्वागत है.
देसी हॉट टीन गर्ल सेक्स कहानी के पहले भाग
मेरे दोस्त ने मेरे लिए चूत का इंतजाम किया
में अब तक आपने पढ़ा था कि 19 साल की जमीला और मैं एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे.
अब आगे देसी हॉट टीन गर्ल सेक्स कहानी:
अब आगे मुझे देखना था कि जमीला की चूत मेरे लंड के नीचे कैसे आएगी. मैं उसकी चुत फाड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था.
उसी दिन शाम को तकरीबन पांच बजे शब्बो का फोन आया.
उसने कुच्ची से कहा- गुड्डू से बात कराओ, जमीला बात करेगी.
हम दोनों इसी इंतजार में बैठे थे. कुच्ची ने फोन को पहले ही स्पीकर पर किया हुआ था.
वो बोला- पहले जमीला से मेरी बात कराओ.
जमीला- हैलो.
कुच्ची- बोलो.
जमीला- आई लव यू.
कुच्ची- अबे यार, मैं कुच्ची बोल रहा हूँ.
जमीला- जानती हूँ, जो तुमने उनसे मिलाया, इसलिए तुम्हें भी बोल रही हूं.
कुच्ची- अच्छा … लेकिन तुम्हें आई लव यू नहीं, बल्कि थैंक्यू बोलना चाहिए.
जमीला- जो भी हो, हम पढ़े लिखे नहीं हैं, तो जो समझ आया सो बोल दिया. अब ये सब छोड़ो और मेरी उनसे बात कराओ.
कुच्ची- अच्छा उनसे … बड़ी उतावली हो … लो अपने उनसे बात कर लो.
जमीला ने हंस कर कहा- हां दो.
मैं- हैलो.
जमीला- हां.
मैं- कैसी हो!
जमीला- मैं ठीक हूं, तुम बताओ कैसे हो?
मैं- मैं भी ठीक हूं … तुमने मुझसे बात करने में कितनी देर लगा दी. बहुत इंतज़ार करवाया तुमने!
मेरी बात सुन कर कुच्ची मेरी पीठ थपथपा कर हंसने लगा.
जमीला- नहीं ऐसी बात नहीं है, पहले मैं तुम्हें जानती नहीं थी … तो बात कैसे करती!
मैं- अब तो जान गई हो, अब बात तो करोगी न!
जमीला- हां, अब तो बात होगी.
मैं- तो अपना नम्बर दे दो … फिर हम दोनों आराम से बात करेंगे.
जमीला- मेरे पास अपना खुद का नम्बर नहीं है, अम्मी का नम्बर है. पर जब मैं मिस कॉल करूंगी, तभी करना.
मैं- ठीक है.
जमीला- अच्छा अभी मैं जा रही हूं, मैं बाद में तुम्हें फोन करूंगी.
मैं- पर कहां जा रही हो, अभी-अभी तो बात शुरू हुई है जान.
जमीला- हां जानू, अभी मेरा भी बात करने का बहुत मन है मगर देर हो जाएगी, तो अम्मी गुस्सा करेंगी. मैं बाद में बात करूंगी. बाय आई लव यू … उम्म्म्मा बाए!
मैं- अरे मेरी बात तो सुनो!
मगर जमीला हंसती हुई चली गई. शब्बो ने फोन अपने हाथ ले लिया.
शब्बो- वो चली गई.
मैं- क्यों चली गई यार, सही से बात भी नहीं हो पाई.
शब्बो- हां, उसकी अम्मी बड़ी खतरनाक़ है, इसलिए वो चली गई. मैंने तुम्हारा नम्बर उसको दे दिया है. वो ख़ुद फोन करेगी.
मैं- तो चलो ठीक है, तुमको क्या लगता है … जमीला मुझसे पट जाएगी?
शब्बो- पट जाएगी नहीं … पट गई है.
मैंने सीधे सीधे पूछा- तो कब चुदाएगी?
मेरी इस बात पर शब्बो कुछ देर खामोश रही, कुच्ची हंसने लगा.
शब्बो- हमने इतना कर दिया कि तुम्हारी बात करा दी … अब चोदना चुदाना तुम दोनों तय कर लो … समझे!
उसका इतना बोलना था कि कुच्ची ने फोन ले लिया और उन दोनों की अपनी बातचीत शुरू हो गई.
फिर रात को करीब 9 बजे मुझे मिस कॉल आई.
मैंने वापस कॉल किया, उधर जमीला थी.
मैं- हैलो!
जमीला- हां मैं जमीला … बोलो.
मैं- क्या कर रही हो!
जमीला- कुछ नहीं, लेटी हूं आराम कर रही हूं.
मैं- अकेले हो!
जमीला- हां बिल्कुल अकेली हूं.
मैं- अकेली क्यों हो, हमें बुला लो.
जमीला- अच्छा, हिम्मत है … आ सकते हो!
मैं- तुम बुलाओ तो सही, फिर देख लेना हिम्मत है कि नहीं.
जमीला- मेरी मम्मी को जानते नहीं तुम … पूरी जल्लाद हैं, उन्हें पता चला तो तुम्हारी ख़ैर नहीं.
मैं- हिम्मत तो तुम्हारे अन्दर नहीं है … और मुझसे कह रही हो कि हिम्मत है या नहीं.
जमीला- हां जानू, तुम सही कह रहे हो, मैं अपनी अम्मी से बहुत डरती हूँ.
मैं- कोई बात नहीं, तुम एक बार मुझसे मिलो तो सही … तुम्हारा सारा डर निकाल दूंगा.
जमीला- वो कैसे?
मैं- तुम मिलो तो सही.
वो बोली- पहले बताओ तो सही.
मैंने कहा- ऐसी लॉलीपॉप खिलाऊंगा कि बस बार बार खाने का जी करेगा और सारा डर खत्म हो जाएगा. मेरे पास दौड़ी चली आओगी.
शायद वो समझ गई थी कि मैं किस लॉलीपॉप की बात कर रहा हूँ.
इसलिए वो हंस दी.
ऐसे ही हम दोनों बहुत देर तक ढेर सारी बातें की.
बातों-बातों में मैंने उसे मोह लिया.
बातें करने के बाद हम दोनों सो गए. इन बातों में सिर्फ लॉलीपॉप के अलावा सेक्स को लेकर कोई बात नहीं हुई.
फिर सुबह भी हमारी बात हुई लेकिन ज़्यादा कुछ नहीं.
दिन भर में कई बार बात हुई.
मैंने उसे शाम को कैसे भी करके थोड़ी देर के लिए मिलने को राज़ी किया.
उसने शाम सात बजे के आस पास उसके घर से थोड़ी दूर एक किराने की दुकान पर आने को कहा.
मैंने उसे अकेले में मिलने को ज़ोर दिया लेकिन वो नहीं मानी.
थक हार कर मैं उसकी बताई जगह पर आने पर राज़ी हो गया.
होना ही पड़ा … न होता तो चूत से हाथ धोना पड़ता.
खैर … शाम हुई तो वापस जमीला का फोन आया.
उसने मुझे आने को बोला.
मैं पहले ही उसके गांव के बाहर आ चुका था. मैंने पांच मिनट का समय मांगा और उस किराने की दुकान पर आ गया.
वहां जमीला पहले से थी. उसने मुझे पास आने का इशारा किया.
मैं इधर उधर देखने लगा.
उसने आंखें बड़ी कर दांत पीसते हुए डांटने वाले अंदाज़ में इशारा किया कि चुपचाप यहां आ जाओ.
मैं भी सीधे दुकान के काउंटर पर आ गया.
इससे पहले मैं कुछ बोलता, जमीला दुकानदार से बोली- आधा किलो चीनी, एक चाय पत्ती का पुड़ा, चार अंडे और एक पारले-जी का पैकेट दे दो.
इतना कह कर वो मेरी तरफ देखने लगी.
हमारी नजरें मिलीं, मैंने मुस्कुरा कर अपनी आंखों की भवें उठा दीं.
उसने ऐसे सब कुछ नज़रअंदाज़ किया, जैसे मैं कोई अजनबी हूँ.
उसका ये स्वभाव देख मैं समझ गया.
मैंने भी अब दुकानदार से बोला- भाई दो सेन्टर फ्रेश दे दो.
अब तक जमीला को उसका सामान मिल चुका था, वो जाने लगी और उसने मुझे भी चलने का इशारा किया.
मैंने भी जल्दी से सामान लिया और जमीला के पीछे निकल गया.
वहां से निकल कर जमीला अपने घर की ओर जा रही थी. उसके पीछे मैं भी जा रहा था.
मैं गांव की आबादी में जमीला के पीछे चल रहा था पर मेरे मन में चल रहा था कि जमीला ने जाने का इशारा किया था या फिर पीछे आने का?
आस पास घर तो थे पर लोगों का आना जाना नहीं हो रहा था. अब तक सर्दी के मौसम के कारण कुछ झुरमुट अंधेरा सा हो गया था. उसकी वजह थी कि गांव में ऐसा होते ही सब सन्नाटे में बदल जाता है.
थोड़ी दूर जाने के बाद एक मोड़ था, जहां मुड़ते ही जमीला दिख नहीं रही थी.
मैंने सोचा कि अब मुझे वापस लौट जाना चाहिए क्योंकि अब तक जमीला ने एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा था.
फिर मैंने सोचा क्यों न उस मोड़ तक देख लिया जाए.
वहां पहुंच कर देखा तो जमीला वहीं खड़ी थी.
मुझे देख कर वो फिर आगे बढ़ गई.
मैंने रुकने को बोला, तो वो सड़क के एक किनारे झाड़ियों की आड़ में खड़ी हो गई.
बस फिर क्या था … मैंने इधर उधर देखा और झट से उसके पास आ गया.
जमीला अभी कुछ समझ या बोल पाती, मैंने उसकी कमर में हाथ डाल अपनी ओर खींचा और सीधा उसके होंठों से होंठ सटा दिए.
उसकी कमर से पीठ तक हाथ फेरा और एक शानदार चुम्बन के बाद उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया.
उसकी सांसें तेज हो गयी थीं लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई थी जो मेरी सोच से बिल्कुल भी अलग था.
मुझे लगा था कि वो गुस्सा करेगी, पर यहां तो अलग ही हुआ.
पलक झपकते ही उसने यहां वहां देखा और मुझसे लिपट गई.
मैं खुद थोड़ी देर के लिए सन्न रह गया.
उसने मेरा सर पीछे से पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों से सटा दिए और मेरे होंठों को चूस कर अपनी मुँह में भर लिए.
फिर दांतों से काटते हुए मेरे होंठों को छोड़ दिया लेकिन खुद को मुझसे अलग नहीं किया.
फिर क्या था … अब मैंने भी उसे बांहों में भरते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वो भी मेरा साथ दे रही थी. हम दोनों ही एक दूसरे को चूस रहे थे.
अचानक जमीला मुझसे अलग हुई और दो कदम पीछे हो गई.
उससे छूटने के बाद अहसास हुआ कि हम कहां हैं.
इससे पहले कि कुछ मैं बोलता, जमीला तेजी से धड़कते दिल पर हाथ रखकर बोली- अब जाओ यहां से, हम फिर जल्द ही मिलेंगे.
बस इतना बोलकर उसने मेरे गाल पर एक किस किया और जाने लगी.
मैंने कहा- सुनो तो सही!
उसने चलते हुए पीछे देखा और कहा- जाओ फिर मिलेंगे, आई लव यू!
वो देसी हॉट टीन गर्ल कदम तेजी से बढ़ाती हुई चली गई.
मैं वहीं खड़े होकर उसे देखता रहा.
फिर मेरा ध्यान अपने हरकत करते लंड पर गया जो अब तक की प्रकिया के बीच पैंट और अंडरवियर में दबे होकर भी अकड़ा हुआ था.
जमीला कुछ दूर जाने के बाद हाथ से इशारा किया कि अब चले जाओ.
मैं भी लंड दबा कर वहां से निकल गया और सीधा अपनी साइकल के पास आ गया.
तभी फोन की घंटी बजी, मैंने देखा जमीला का फोन आया था.
मैंने फोन स्वीकार किया और हैलो कहा.
उधर से ‘उम्म्म्मह … पुच पुच पुच …’ के साथ आई लव यू की आवाज़ आई.
मैंने कहा- हां बोलो … आग लगा कर किधर भाग गई?
जमीला ने हंस कर कहा- कहां हो मेरे राजा जी!
मैं- पता नहीं, अभी जब से तुमसे मिला हूँ कुछ होश नहीं कि मैं कौन हूँ और कहां हूँ … बस तुम ही तुम मेरे ख्यालों में गूंज रही हो.
जमीला- अब कुछ मत बोलो राजा … वही हाल यहां भी है. मुझसे जरा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है. अब तो बस तुम्हारी बांहों में ही सुकून मिलेगा.
मैं- लेकिन कब?
जमीला- बस थोड़ा सा सब्र रखो … मैं खुद तुम्हारे लिए तड़प रही हूँ.
ऐसे ही हमारी कुछ देर तक बातें हुईं, फिर मैं घर चला आया.
घर जाकर मैंने कुच्ची को शुरू से आखिरी तक की सारी बात बताई.
उसने मुझे शाबाशी दी और कहा कि अब वो दिन दूर नहीं, जब तू उसकी चूत में अपना लंड गाड़ेगा.
देर रात तक मैंने जमीला के फोन का इंतजार किया पर उसका फोन नहीं आया.
मैं सो गया.
सुबह उठ कर मोबाइल देखा तो एक भी कॉल नहीं आया था.
दिन भर इंतज़ार के बाद भी उसका फोन नहीं आया, मेरी बेचैनी बढ़ने लगी.
मन में बहुत सारी बात आने लगीं कि कहीं उसकी अम्मी को पता तो नहीं चल गया … वगैरह वगैरह.
फिर मैंने कुच्ची को बताया तो उसने शब्बो को फोन करके मामले की जांच करने को कहा.
वहां से पता चला कि जमीला के अब्बा आ गए हैं, तो जमीला एहतियातन फोन नहीं कर रही है … और कोई ख़ास बात नहीं है.
इससे मुझे राहत मिली कि चलो अभी भी इस चूत को चोदने की उम्मीद बनी है.
तीन दिन बीत गए.
रात के करीब 9 बजे होंगे, सर्दी की रात थी, सन्नाटा छाया हुआ था.
मेरे घर में भी लगभग सभी अपने बिस्तर में थे, मैं अकेला बाहर आग जला कर बैठा फोन पर एक दूसरी लड़की को चुदवाने के लिए उकसा रहा था.
तभी मुझे किसी के आने की आहट हुई, मैंने गौर किया कि इस वक़्त कौन होगा.
अंधेरा था, तो साफ दिखाई नहीं दे रहा था … मगर चाल ढाल से लगा कि कुच्ची है.
तब तक वो मेरी तरफ ही घूम गया.
अब मुझे यकीन हो गया कि ये कुच्ची ही है.
दूसरा कोई था भी नहीं, जो इतनी रात गए मेरे पास आता.
आते ही कुच्ची ने कहा- साइकिल उठा और जल्दी चल.
मैंने पूछा- कहां जाना है?
उसने बोला- चूत चोदने.
उसकी बात सुन कर मैंने फोन पर बात कर रही लड़की से कहा कि मुझे एक ज़रूरी काम से मेरे दोस्त के साथ जाना होगा, हम बाद में बात करेंगे.
मेरे फोन रखते ही कुच्ची ने बताया कि आज शाम को करीब 6 बजे शब्बो के मुमाने में किसी का इंतकाल हो गया है. तो उसकी अम्मी वहां गई हुई हैं, वो अब कल ही वापस आने वाली हैं. शब्बो ने आज पूरी रात का कार्यक्रम सैट किया है.
उसकी बात सुन कर मैंने कहा- मैं …
अभी मैं कुछ और बोलता, इससे पहले कुच्ची ही बोल पड़ा- चल बे भोसड़ी के … तेरा भी जुगाड़ है.
मैं चौंक गया- मेरा भी जुगाड़ है … इसका क्या मतलब हुआ!
कुच्ची ने कहा- यहां से निकल, रास्ते में सब बताता हूँ.
मैंने भी ज्यादा सवाल नहीं किया और हम दोनों निकल गए. रास्ते में कुच्ची ने सारी बात बताई.
आज की रात मेरे लंड को एक नई चुत चुदाई का मजा मिलने वाला हो गया था.
सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको एक कमरे में दो चूतों की दो लौड़ों से चुदाई लिखूँगा. आप मेरी इस देसी हॉट टीन गर्ल सेक्स कहानी पर अपने मेल भेजना न भूलें.
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देसी हॉट टीन गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: दोस्त ने गर्लफ्रेंड की सहेली की चुत दिलाई- 3