सिडनी में दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स- 2

कामुकता सेक्स स्टोरी मेरे दोस्त की गर्म गर्लफ्रेंड की है. वो मेरे दोस्त से खुश नहीं थी शायद. मैं भी उसे पसंद करता था. हम दोनों ने कैसे सेक्स शुरू किया?

हैलो फ्रेंड्स, मैं नील आपको अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड उमैय्या के साथ हुई सेक्स कहानी को सुना रहा था.
कामुकता सेक्स स्टोरी के पहले भाग
दोस्त की सेक्सी गर्लफ्रेंड की चुदाई की तमन्ना
में अब तक आपने पढ़ा था कि उमैय्या अपनी आधी बियर छोड़ कर चिप्स लेने के लिए किचन में जाने लगी थी. उसके खड़े होते ही मैं भी उसके पीछे चल दिया और उसकी मटकती गांड को देख कर मजे लेने लगा.

अब आगे कामुकता सेक्स स्टोरी:

मेरा सारा ध्यान पीछे से उसकी गांड की थिरकन पर ही टिका था. साथ साथ हम बात कर रहे थे.
शायद उसको भी पता था कि मैं पीछे उसकी गांड के ही दीदार कर रहा हूँ, इसलिए वो भी पूरा गांड को मटकाती हुयी चल रही थी.

अब पता नहीं सच में मटका रही थी या बियर का नशा था … या मुझे उसकी गांड का नशा हो चला था.

वैसे तो मैं पूरे होश में था, पर मैंने सोचा क्यों ना कुछ ट्राई किया जाए. अगर बात बन गयी तो मज़े हो जाएंगे, नहीं तो नशे में होने का बहाना तो है ही.

उसने किचन में से चिप्स का पैकेट निकाला और किचन की स्लैब पर रख कर उसे खोलने लगी.
मैं उसके बिल्कुल साथ खड़ा था और बात कर रहा था.

मैंने बात करते करते अपना हाथ उसकी गांड की तरफ़ बढ़ाया और धीरे से गांड की एक साइड पर रख दिया.
आह क्या फ़ीलिंग थी यार, बिल्कुल नर्म और गर्म गांड का अहसास मेरे लंड को आंदोलित कर रहा था.

मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था.
मेरे हाथ का अहसास उसे भी हो गया था.

वो थोड़ा सा इठलायी और मुस्कुराती हुई चिप्स का पैकेट खोल कर वापिस सोफ़े की तरफ़ बढ़ने लगी.
मेरा हाथ अभी भी उमैय्या की गांड के ऊपर ही था. मैंने चलने से पहले उसकी गांड को हल्का सा दबाया और हाथ हटा लिया.

पिछले सिर्फ़ 5 मिनट में मुझे उसके मम्मों के दर्शन और गांड का अहसास हो गया था.

अब ये तो पक्का हो चला था कि उमैय्या भी इंटेरेस्टेड है क्योंकि उसकी तरफ़ से कोई भी विरोध नहीं था.
बल्कि मुझे तो लग रहा था कि वो खुद ही जलती आग में घी डाल रही है.

सोफ़े पर आते ही उमैय्या ने 2 घूँट में ही अपनी बाक़ी बची बियर खत्म कर दी.
उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे नशा हो गया है.

इधर मुझ पर उसके कातिल हुस्न का नशा हो चला था.

पांच दस मिनट टीवी पर गाने चलते रहे और हमारी ऐसे ही थोड़ी सी इधर उधर की बात होती रही.

मेरे मन में अब ये चल रहा था कि आगे क्या करूं और कैसे शुरू करूं. अब तक जो हुआ था, मैं उसी के बारे में सोच रहा था और मेरे लंड में लहर चल रही थी.

तभी उमैय्या बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं तो रूम में जा रही हूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा.

तो उसने मुझसे भी पूछा- तुम तो अभी बैठोगे?
मैंने बोला- हां.

मुझे मन ही मन लगा कि यार ये मौका तो निकल गया हाथ से.
वो उठकर जाने लगी, मेरा ध्यान तो अभी भी उसकी गांड पर ही था.

वो पीछे मुड़ कर मुझसे बोली- गुडनाइट.
मैंने भी कहा- गुडनाइट हनी.

वो गांड मटकाती हुई कमरे में चली गई और मैं फिर से एक सिगरेट सुलगा कर उसकी गांड और मम्मों की झलक को याद करते हुए लंड को दिलासा देने लगा.

मैंने बाक़ी की रात सिर्फ़ ये सोच कर ही निकाली कि उमैय्या के साथ और क्या क्या हो सकता था.
खैर … जो कुछ भी हुआ था, उसी को याद करते हुए मैं लंड को मसलने लगा और थोड़ी देर बाद अपने कमरे में आकर सो गया.

अगले दिन सुबह मैं जॉब पर चला गया.

उमैय्या से मुलाक़ात तो नहीं हुयी पर मैं सारा दिन उसके बारे में ही सोचता रहा.
मेरे दिमाग़ में उसका चेहरा, मम्मे और गांड ही घूम रहे थे.

शाम को मैं अपने ऑफ़िस के दोस्तों के साथ खाना खाने चला गया तो मुझे घर आने में थोड़ी देर हो गई.

घर पर कोई भी बाहर नहीं था, तो मुझे पता नहीं था कि घर पर कौन कौन है. मैं अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा और इसके 10-15 मिनट बाद नहाने चला गया.

बाथरूम में जाते ही मैं अपने कपड़े टांगने लगा तो वहां जो मैंने देखा, वो देख कर मेरी आंखें बड़ी हो गईं.
मैंने जल्दी से बाथरूम लॉक किया और वापिस कपड़ों की तरफ़ बढ़ा.

वहां हल्के नीले रंग की कच्छी टंगी हुयी थी.
मैंने जल्दी से उसे उठाया.

घर में सिर्फ़ एक ही लड़की थी, वो थी उमैय्या.
ज़ाहिर सी बात है कि ये उमैय्या की कच्छी थी जो शायद अभी नहा कर गयी थी क्योंकि बाथरूम अभी भी गीला था.

अब उमैय्या की कच्छी को मैं अपने हाथ में लिए खड़ा था और मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी.

मैंने उस कच्छी को ध्यान से देखना शुरू किया और उसको अपने नाक के पास ले आया.
क्या मादक ख़ुशबू थी यार … उमैय्या की फुद्दी की ख़ुशबू.
काफ़ी तीखी ख़ुशबू थी और ये महक मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.

कुछ ही पलों बाद मैं उमैय्या की कच्छी को वहां से चाटने लगा, जहां उसकी चूत और गांड का छेद लगता था.
मेरे दिमाग़ पर तो नशा हो गया था कि ये वही कच्छी है, जो कुछ टाइम पहले उमैय्या की चूत और गांड पर लिपटी हुयी थी.

मैंने अच्छे से उसको सूंघा और चाटा.

फिर मैं उसके बारे सोचता हुआ नहाने लगा और अपने लंड को सहलाने लगा.

कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर जाने लगा.
मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी कच्छी को अपने साथ ही ले जाऊं, पर इससे उसे सीधा शक हो जाता … इसलिए बाहर जाने से पहले मैंने उसकी कच्छी को एक बार फिर अच्छे से सूंघा और चाटा.

फिर मैं अपने कमरे में आ गया.

मेरे होंठों पर अभी भी उमैय्या की चूत और गांड का टेस्ट लगा था.

कपड़े वगैरह बदल कर मैंने सोचा कि थोड़ा टाइम घर के पीछे गार्डन में बैठ कर रिलैक्स करता हूँ.

रात के क़रीब 10 बजे का टाइम था. मैं वहां जाकर सोफ़े पर बैठ गया और अपना फ़ोन चलाने लगा.

अभी 5 ही मिनट हुए थे कि वहां उमैय्या भी आ गयी.
उसने ढीला सा टॉप और लैग्गिंग डाली हुयी थी.

उमैय्या सोफ़े पर बैठती हुई बोली- और नील क्या कर रहे हो?
मैं- हैलो उमैय्या, कुछ नहीं यार बस ऐसे ही आराम कर रहा हूँ. सोचा थोड़ी देर बाहर बैठ जाऊं.

पीछे गार्डन में हमने एक पुराना सोफ़ा रखा हुआ था.
हम एक दूसरे के बिल्कुल बग़ल में बैठे थे तो मैं सीधा उसकी तरफ़ नहीं देख पा रहा था.

मैं- कैसा रहा तुम्हारा दिन? घर में कौन है?
उमैय्या- ठीक था दिन, वही बोरिंग. तुम्हारा दूसरा दोस्त है अपने रूम में, शायद वो सो गया है.

मैं- और तुम्हारा ब्वॉयफ़्रेंड?
उमैय्या- वो तो जॉब पर है. आज उसने बोला था कि उसे आने में थोड़ा वक्त लग जाएगा. शायद उसे आने में अभी दो घंटे और लग जाएं.

मैं मज़ाक़ में बोला- हम्म … वो बड़ा काम कर रहा है यार, लगता है तुम काफ़ी खर्चा करवा रही हो!
उमैय्या मुँह बना कर बोली- हुंह … घर पर बैठे कौन सा खर्चा हो रहा है!

अब हम सीधा आमने सामने होकर बातें करने लगे.
हम दोनों एक ही सोफ़े पर बैठे हुए थे तो ज़्यादा दूर भी नहीं थे.

बातें करते हुए मैं उसके चेहरे को ही देखे जा रहा था.

मैं- यार, मैं तो आज काफी थक गया. सोच रहा हूँ कि थोड़ी बियर हो जाए, बॉडी थोड़ा रिलैक्स हो जाएगी.
उमैय्या- बॉडी रिलैक्स करने के बियर की क्या ज़रूरत, मसाज़ भी की जा सकती है.

मैं- यार, मुझे तो लगता है ये मसाज़ ऐसे ही होती है, कुछ फर्क तो पड़ता नहीं होगा.
उमैय्या- नहीं नील, फर्क तो पड़ता है. शायद तुमने कभी करवायी ही नहीं, तो तुम्हें पता नहीं है.

मैं- ये भी बात है. पर अब मसाज़ करवाने मैं कहा जाऊं. हां अगर तुम मदद कर दो तो शायद पता चल जाए.
ये मैंने आंख दबाते हुए बोला था.

तो उमैय्या थोड़ा मुस्कुराती हुई बोली- मैं तुम्हें थोड़ा सिखा सकती हूँ, शायद फ़्यूचर में काम आए.
मैं- मतलब बियर नहीं पियोगी आज. लगता है कल रात ज़्यादा चढ़ गयी थी.

उमैय्या आंखें नचाती हुई बोली- मुझे तो नहीं ज़्यादा चढ़ी थी, पर तुम्हें ज़रूर नशा हो गया था.
मैं- अरे यार, मुझे बियर का नशा इतनी जल्दी नहीं होता. हां तुम्हारे हुस्न का नशा ज़रूर हो गया था.
मैंने फिर से एक चांस लिया.

उमैय्या थोड़ा सा मुस्कुरा कर बोली- मेरे हुस्न का नशा … इतनी भी हॉट हूँ क्या मैं?
मैं- हॉट … सच में तुम्हें नहीं पता कि तुम क्या चीज़ हो.

उमैय्या हंसने लगी और बोली- बस बस, ये छोड़ो और अगर तुम्हें मसाज़ सीखनी है तो बोलो. मैं तुम्हें करके दिखाती हूँ.
मैं- ठीक हो, बोलो क्या करना है.

उमैय्या- पहले दूसरी तरफ़ चेहरा करके बैठो.

मैं मुड़ कर दूसरी तरफ़ चेहरा करके बैठ गया. उमैय्या ने पीछे से मेरी कमर पर हाथ लगाया और दोनों तरफ़ से हल्का हल्का दबाने लगी. कभी थोड़ा ऊपर, कभी थोड़ा नीचे.

अब सच बोलूं तो मुझे मसाज़ का झांट कुछ नहीं फ़ील हो रहा था मगर उसके हाथ की गर्मी से मेरा लंड खड़ा होना जरूर शुरू हो गया था.

उमैय्या को अपने इतना क़रीब सोच कर और मेरे होंठों पर जो उसकी पैंटी का स्वाद था.
ये सब सोच मुझ पर पूरी ठरक चढ़ा रहा था.

दो मिनट बाद उमैय्या बोली- कैसा लग रहा है नील, आराम मिल रहा है?
मैं हंस पड़ा और बोला- अरे उमैय्या आराम तो नहीं मिल रहा, पर कुछ और हो रहा है. ये तो बिल्कुल आसान है यार, कोई भी कर सकता है. मैं तुमको करके दिखाऊं?

इतना बोलकर मैं उमैय्या की तरफ़ मुड़ा.

उमैय्या बोली- ठीक है, तुम करके दिखाओ.
उसने पलट कर पीठ मेरी तरफ़ कर दी.

अब मैं उसके पीछे बैठा था. उसका चेहरा दूसरी तरफ़ था.
मैं खुल कर उसको देख सकता था क्योंकि उसका चेहरा दूसरी तरफ़ था.

मेरा ध्यान तो सीधा उसकी गांड पर ही गया, जो सोफ़े पर बैठे होने की वजह से दब कर थोड़ी फैल गयी थी.
मैंने अपने हाथ उसकी कमर की तरफ़ बढ़ाए और दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा सा दबाने लगा.

मैं- देखा इतना आसान है यार. ऐसे ही करना है ना!
उमैय्या- हां ऐसे ही, पर एक ही जगह पर नहीं.

मैंने अपने हाथ ऊपर नीचे करने शुरू किए. अब जब ऊपर हाथ ले जा रहा था, तो थोड़ा ध्यान रखना था कि हाथ उसके मम्मों को ना लग जाए.
मन तो कर रहा था कि उसके दोनों मम्मों को पकड़ लूं, पर थोड़ा सावधानी से.

तीन चार बार मैंने हाथ ऊपर नीचे किए और मैं लगातार उसकी पीठ पर हल्का सा दबाव डालता जा रहा था. इस वक्त हम दोनों में कोई कुछ नहीं बोल रहा था.

मैंने सोचा कि अब आगे बढ़ने का टाइम है. इस बार मैंने हाथ ऊपर ले जाते हुए उसके मम्मों को साइड से टच किया और दोबारा फिर से वही किया.

उमैय्या की तरफ़ से कोई रिऐक्शन ना देख कर अगली बार मैंने उसके बायें मम्मे पर हाथ फेर दिया.
वो अब भी शांत थी.

तो अगली बार ऊपर जाते हुए मैंने उसके दोनों मम्मों पर हाथ फेरा. उमैय्या अब भी कुछ नहीं बोली, तो मैंने सोचा कि ये तो पूरी गर्म हो गयी लगती है.

फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और दो बार हल्के से दबा दिए.
उसके साथ ही मैं अपने होंठ उसकी गर्दन पर ले गया और वहां चूम लिया.

ये होते ही उमैय्या मेरी तरफ़ मुड़ी.
मैं थोड़ा सा हड़बड़ा गया.

उमैय्या का चेहरा लाल हो गया था. तभी उसने अपने कांपते गुलाबी होंठों को हिलाया.

वो बोली- नील तुम्हें पता है ना हम घर पर अकेले नहीं हैं.

मैंने कोई 5 सेकंड उसके चेहरे की तरफ़ और आंखों में देखा.
वो भी मेरी तरफ़ ही देख रही थी.

मेरा दिल बड़ी ज़ोर से धड़क रहा था.
मैंने उमैय्या का हाथ पकड़ा और उसको सोफ़े से उठा कर गार्डन के दूसरी तरफ़ ले गया.

वहां दीवार के साथ खड़े होकर और उसको दीवार के साथ लगा दिया.
मैं उससे बोला- अब तो हम अकेले है ना!

उसके चेहरे पर थोड़ी शर्म, थोड़ी सी मस्ती, थोड़ी सी मुस्कुराहट थी.
मैंने अपनी बाहें उसकी पीठ पर कस दीं और उसके होंठों की तरफ़ अपने होंठ ले जाने लगा.

उसने मुझसे छूटने की कोई कोशिश नहीं की, बस थोड़ा शर्मा कर वो अपना मुँह इधर उधर कर रही थी.

तभी मेरे होंठ उसके गुलाबी होंठों से मिल गए. अभी 2 सेकंड ही हुए थे कि उमैय्या ने मेरे होंठों को हल्के से काट लिया.
मैं चिहुंका तो वो बोली- नील, तुम बड़े शरारती हो.

ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठों में दे दिए.
अब हम एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे.

पीछे मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसकी गांड पर पहुंच गए थे और उसकी गांड दबाने में लगे थे.

इधर हमारी किस और भी गर्म होती चली थी, उसके मुँह का स्वाद मुझे अलग क़िस्म का मज़ा दे रहा था.

मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और अन्दर उसकी जीभ को टच किया.
वो भी समझ गयी.

अब हमारी जीभें एक दूसरे से लड़ रही थीं और बीच बीच में हम एक दूसरे की जीभ चूस ले रहे थे.

उमैय्या के हाथ मेरे बालों पर थे और वो पूरे जोश में मुझे किस कर रही थी.
मैंने अपना एक हाथ पीछे से उसकी लैग्गिंग में डाल दिया और मेरा हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर घूमने लगा था.

दोस्तो, मेरी इस कामुकता सेक्स स्टोरी के अगले भाग में आपको उमैय्या की मदमस्त चुदाई का मजा पढ़ने को मिलेगा.
आप मेल करना न भूलें.
[email protected]

कामुकता सेक्स स्टोरी का अगला भाग: सिडनी में दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स- 3

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