कॉलेज गर्ल को डॉक्टर ने चोदा. कैसे? मैं अपनी चूचियां बड़ी करवाने डॉक्टर के पास गयी तो उसने मेरे जिस्म से खेल कर मेरी वासना जगाई और मेरी बुर खोल दी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं शरद … मैंने आपको इस कहानी के पिछले भाग
डॉक्टर ने मेरी कुंवारी चूत चूस ली
में नंदिनी की चुत को डॉक्टर के द्वारा चूसे जाने से झड़ने का मंजर लिखा था.
अब आगे कॉलेज गर्ल को डॉक्टर ने चोदा. नंदिनी की जुबान से सुनें:
इस कहनी को आप लड़की की कामुक आवाज में भी सुन सकते हैं.
मैं झड़ चुकी थी और डॉक्टर अब भी मेरी चुत को चूस रहा था.
कुछ देर बाद अपनी जीभ से अपने होंठों को पौंछते हुए डॉक्टर मुझसे बोला- मिस नंदिनी … आज का कोर्स खत्म हो गया है, जाओ अपने कपड़े पहन लो.
मैं उठी और मैंने अपने प्यारे डॉक्टर के होंठों को चूम कर उसे थैंक्यू कहा और अपने कपड़े पहन लिए.
मेरे मन से मोहित की तस्वीर धीरे-धीरे धुंधली होती जा रही थी.
डॉक्टर के क्लीनिक से मैं सीधा कॉलेज गयी. उधर मोहित से एक बार फिर हाय हैलो हुई.
उसने मुझसे सुबह की बात पूछी, पर मैंने उसे इग्नोर कर दिया और अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और अपने प्यारे डॉक्टर पर लगा लिया.
शाम को मैं हंसी-खुशी अपने घर पहुंची और पिछले दो-तीन दिनों की तरह एक बार फिर मैं शीशे के सामने खड़ी हो गई.
मैं नंगी हुई और उन अंगों को छू-छू कर देखने लगी, जिधर डॉक्टर शक्ति ने मुझे प्यार किया था.
खासतौर पर मैं अपनी सहेली, मेरी चूत को छू रही थी और मैं अपनी एक उंगली को अन्दर डाल चुकी थी.
मेरी चूत अभी भी अन्दर से हल्की लसलसी थी. जिज्ञासावश मेरी उंगली चूत को सहलाने लगी.
जैसे-जैसे उंगली चूत को सहलाती जाती, वैसे-वैसे मैं मदहोशी के आलम में डूबने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था कि चूत को मेरी उंगली नहीं, बल्कि डॉक्टर की उंगली सहला रही है.
मेरा एक हाथ मेरी चूचियों पर था, उन दोनों आमों को मसल रहा था.
लेकिन वो वैसा सुखद अहसास नहीं दे रहा था जैसा डॉक्टर के दबाने पर मिलता है.
मैंने अपनी ताकत से अपने चूचियों को कस-कस कर मसला, लेकिन वो मजा नहीं आ रहा था.
थोड़े ही देर बाद मैं ऊबने लगी थी. मैं उस सुखद अहसास को न पाने के कारण हताश होकर नहाने चली गयी.
वहां मैं थोड़ी देर तक अपने जिस्म से खेलती रही.
नहाने के बाद मुझे सुकून मिला.
अब एक बात हो गई थी. मैं रोज अपनी छाती को सुबह शाम शीशे के पास खड़े होकर घूरती और मन ही मन कहती कि कुछ तो आकार बदलने लगा है और मैं खुश हो लेती.
मुझे घर पहुंचने से ज्यादा दूसरे दिन का इंतजार रहता ताकि मैं डॉक्टर से मिल सकूं.
आज चौथा दिन था, मैं कॉलेज के लिए निकलने ही वाली थी, तभी डॉक्टर ने मुझे फोन करके कहा कि दो-तीन दिन वो अपनी क्लीनिक नहीं जाएंगे.
उसके फोन से एक उदासी सी मन में छाने लगी.
तभी डॉक्टर ने कहा- पर तुम कॉलेज के बाद मेरे घर आ सकती हो.
ये कहते हुए उसने अपने घर का एड्रेस बता दिया, जो उसके क्लीनिक से थोड़ी ही दूर था.
डॉक्टर से न मिलने और फिर मिलने की सम्भावना से मुझे एक ही पल हताश और खुशी दोनों ही प्रदान कर दी.
कॉलेज खत्म करने के बाद में डॉक्टर के घर पहुंची.
वो मेरा ही इंतजार कर रहे थे.
धड़कते दिल से मैं अन्दर पहुंची. डॉक्टर ने मुझे उसी जोश के साथ अपने से चिपका लिया और मेरी पीठ और चूतड़ों पर अपने हाथ फेरने लगा.
उसके आगोश में आने से ऐसा लगता है कि बस वो मुझे ऐसे ही पकड़े रहे.
फिर कमरे के अन्दर ले जाकर मुझे कपड़े उतारकर बेड पर लेटने के लिए बोला.
मैं तो बस इंतजार कर रही थी … उसके बोलने भर की देर थी, मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और बेड पर लेट गयी.
डॉक्टर भी इस समय कैप्री और बनियान में था और उनके हाथ में कुछ शीशियां थीं.
वो मेरे बगल में आकर बैठ गया. मेरे पैरों पर अपनी उंगलियां चलाते हुए मेरे घुटने, फिर जांघ से होते हुए मेरी सबसे प्यारी सहेली, मेरी चूत पर उंगलियां चलाने लगा.
मुझे गुदगुदी सी हो रही थी, मेरी चूत फड़क रही थी, मेरी टांगें आपस में सटती चली जा रही थीं. पैरों की उंगलियों में अकड़न आ रही थी.
अभी भी उसकी उंगलियां फांकों के ऊपर टहल रही थीं. मेरी चूत के आस-पास ही उसकी उंगलियां चल रही थीं और उसकी जीभ मेरी नाभि पर आ गई थी.
मैंने अपनी आंखें बन्द करके डॉक्टर के द्वारा दी जा रही मस्ती के सागर की लहरों में तैर रही थी.
तभी उसकी उंगलियां चलनी बन्द हो गईं और मेरी आंखें खुल गईं. मेरी नजर डॉक्टर पर पड़ी, जो अपनी बनियान उतार चुका था और अब चड्डी उतार रहा था.
चड्डी उतारते ही उसका काला-काला, तना हुआ लंड मेरी नजरों के सामने लहराने लगा था.
अपनी चड्डी बनियान उतारने के बाद डॉक्टर मेरे ऊपर आ गया. पर उसका जिस्म हवा में था और उसके हाथों और पैरों के सपोर्ट से टिका था.
मेरी नजर उसके भीमकाय लंड पर गयी, जो ठीक मेरी चूत के ऊपर था. लंड का अहसास ही मेरी चूत में आग लगाने के लिए काफी था.
मैंने अपनी कमर उचकाकर लंड को छूने की कोशिश की. एक बार लंड का स्पर्श हो गया. आह … क्या गर्म-गर्म लंड का अहसास था.
डॉक्टर उसी तरह अपने जिस्म को हवा में लटकाए हुए था और मैं बार-बार अपनी कमर को उचकाकर लंड को छूने की कोशिश कर रही थी.
कुछ देर तक मैं ऐसा ही करती रही.
फिर डॉक्टर अपनी गर्दन नीचे करके जीभ को मेरे निप्पलों पर बारी-बारी चलाता रहा और मेरी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसता रहा.
मेरे लिए इस समय ऐसा अहसास था कि आम के पेड़ के नीचे खड़ी हूं … लेकिन आम नहीं ले पा रही हूं.
फिर मैंने अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और अपनी कमर को उचकाकर एक बार फिर से चुत को लंड से टच किया.
मेरे लिए ये करना कठिन हो रहा था, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था.
मेरी मनोदशा को समझते हुए डॉक्टर ने पुशअप स्टाईल में अपने को पीछे किया और हल्का सा मेरी जिस्म से सटते हुए आगे को आया.
आज मेरी समझ में आया कि यह आदमी सेक्स का डॉक्टर क्यों बना. मैं उसकी इस स्टायल पर उस समय मर मिटी थी.
जब डॉक्टर का लंड रगड़ते हुए मेरी चूत के मुहाने को छूकर फांकों के बीच होता हुआ मेरी नाभि से जा टकराया. मेरी कूल्हे आपस में सट गए और लंड को लपकने के लिए मेरी चूत ने अपना मुँह खोल दिया.
हालांकि अभी तक मेरी चूत ने किसी लंड का मजा नहीं लिया था लेकिन डॉक्टर से अपनी पिलपिली चूची को सेक्सी लुक देने के चक्कर में अब चूत का मुँह भी खुलवाना चाहती थी.
अब तक डॉक्टर मेरे ऊपर से हट चुका था और बगल में लेटकर मेरे होंठों को चूसने लगा.
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी.
एक बार फिर डॉक्टर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गया. उसका गर्म लंड मेरे पेट के ऊपर था.
वो मेरी चूचियों को बहुत ही बेदर्दी से मसले जा रहा था और बीच-बीच में अपने हाथ को पीछे करके मेरी चूत के अन्दर उंगली चला रहा था.
जबकि मैं उसके लंड पर अपने अंगूठे रगड़ रही थी.
काफी देर तक ऐसा चलते रहने से मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और डॉक्टर का वीर्य मेरे पेट के ऊपर आ गया था.
डॉक्टर मेरे मुँह के पास आकर लंड को होंठों के ऊपर रगड़ने लगा, मेरी जीभ बाहर आ गयी और उसके सुपारे पर चलने लगी.
फिर डॉक्टर मेरी चूत की तरफ आया, उसने मेरी कमर के नीचे अपने हाथ को फंसाया और मेरी कमर को उठाकर अपने मुँह के पास ले जाकर मेरी चूत चाटने लगा.
उसके बाद उसने मेरे पेट पर गिरे हुए अपने वीर्य से मेरे चूत की मालिश की और उसके बाद पास पड़ी हुयी शीशियों में से एक शीशी खोल कर मेरे ऊपर उड़ेल दी.
फिर वो मेरे जिस्म की मालिश करने लगा. मालिश करते हुए वो मेरे निप्पलों को मसलते और मेरी चूचियों को भींच देता.
काफी देर तक मालिश करने के बाद डॉक्टर ने मुझे नहाने के लिए कहा और इशारे से बाथरूम का रास्ता बता दिया.
मेरी चूत में आग लगी थी. लेकिन डॉक्टर को तो जैसे मेरी चूत से कुछ लेना देना ही न था.
इसलिए मैं खुद उससे चिपक गयी और बोली- डॉक्टर … मैं अपनी चूची का इलाज कराने आपके पास आयी थी, लेकिन इलाज के बाद जब मैं घर जाती हूं, तो बहुत बेचैन रहती हूं. मेरी चूत में लगी आग मुझे परेशान कर देती है. आप इसका भी कुछ इलाज करो.
डॉक्टर ने मेरे चूतड़ों को कसकर मसला और मुझे उठाकर बाथरूम के अन्दर ले गया.
उधर वो अपने हाथों से मुझे नहलाने लगा. मेरे एक-एक अंग को खूब अच्छे से रगड़-रगड़ कर साफ कर रहा था.
और जैसा वो मेरे साथ कर रहा था, वैसा मैं भी उनके साथ कर रही थी.
मैं उसके लंड को अपने चूत के अन्दर लेने के लिए इस कदर व्याकुल हो गई थी कि मैं नहाते समय भी डॉक्टर के लंड को जब भी मौका पाती, अपनी चूत से रगड़ देती.
मुझे रहा न गया और मैं एक बार फिर बोली- डॉक्टर, इस चूत का भी इलाज कर दीजिए.
डॉक्टर ने मेरे जिस्म को पौंछा और मुझे अपने बेडरूम में ले आया.
मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरी चूत को चूमने के बाद लंड को चूत के मुहाने में रगड़ने लगा. अपने कड़े लंड को चुत के अन्दर की तरफ धकेलने लगे.
मुझे ऐसा लग रहा था कि गर्म लोहे का रॉड मेरी चूत में घुस रही है.
मेरी चीख निकल रही थी … लेकिन डॉक्टर के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा. वो लंड को अन्दर घुसेड़ते ही जा रहा था.
जिस तरह से लंड को वो चूत के अन्दर डाल रहा था, उससे ऐसा लग रहा था कि चूत के अन्दर आरी चल रही है. मैं नहीं समझ पा रही थी कि इतना दर्द होता है, तो फिर मजा कैसे आता है.
अब मैं डॉक्टर को अपने ऊपर से हटाना चाह रही थी. मैंने मुक्के चलाये, उसको नौंचा, लेकिन उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
दर्द और जलन की वजह से मेरा हाल बुरा हो चुका था, आंख से आंसू आ गए थे. लेकिन डॉक्टर हटने को राजी ही नहीं था.
मैं पछता रही थी कि क्यों इससे कहा कि मेरी सहेली को राहत दे दो, उसकी बेचैनी दूर कर दो.
पर अचानक डॉक्टर ठहर गया और मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से पीने लगा. कभी वो मेरी गर्दन पर अपने प्यार की बारिश करता, तो कभी मेरी आंखों को चूम लेता. फिर कभी मेरे होंठों को चूमता और कान की लौ को चूसने लगता.
इस तरह से वो मेरा ध्यान एक बार फिर उत्तेजना की तरफ ले जाने में सफल हो गया.
धीरे-धीरे ही सही, मैं दर्द पर काबू पाने लगी थी.
तभी एक बार फिर डॉक्टर ने फिर अपना वहशीपन दिखाया, एक झटके से मुझसे अलग हो गया और उसके साथ ही मुझे लगा कि कुछ गर्म-गर्म मेरे अन्दर से निकल रहा है.
मैं छू कर देखना चाह रही थी, पर डॉक्टर ने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक बार फिर लंड को चूत के अन्दर उतनी ही बेरहमी से घुसेड़ दिया.
मेरी चीख निकल गयी, लेकिन डॉक्टर को कोई फर्क नहीं पड़ा. उसने बस इतना ही किया कि मेरे दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगा.
अब डॉक्टर लंड को आधा बाहर करता और फिर ताकत से धक्के लगा देता. अभी भी लंड की रगड़न से मेरी चूत की दीवार घायल हो रही थी, लेकिन जो चूत के अन्दर जलन थी, चिलकन थी, दर्द था वो उन्माद में खुशी में उत्तेजना में बदल रहा था.
डॉक्टर का जिस्म मेरे ऊपर था और लंड अन्दर-बाहर हो रहा था. उसके घर्षण से मैं पागल हुयी जा रही थी.
करीब दस मिनट तक वो ऐसे ही करते रहा. हालांकि बीच-बीच में रूक कर कभी मेरे होंठ चूस लेता … तो कभी मेरी चूचियों को कस कर दबा देता. तो कभी मेरे निप्पल को दांतों से काट लेता.
साफ शब्दों में कहूं, तो चूत की यह प्रथम चुदाई से खुशी और दर्द दोनों से ही, एक साथ मेरा परिचय हुआ था.
तभी डॉक्टर हांफते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गया और मेरी चूत के ऊपर उसका गर्म गर्म वीर्य गिरने लगा.
जबकि थोड़ी देर पहले मेरी चूत ने भी लसलसा पदार्थ बाहर निकाला था.
कुछ देर बाद अपने सांस पर काबू पाने के बाद वो मेरे ऊपर से हट गया. मुझे भी इस समय थोड़ी सी थकान लगी थी और चूत में जलन हो रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं उठी और मेरी नजर बेड पर पड़ी खून से लाल था.
मुझे समझ में आ गया था कि मेरी चुत की सील टूट चुकी थी.
मेरे कदम आगे नहीं बढ़ रहे थे.
डॉक्टर उठा और उसने मेरी चूत और उसके आस-पास की जगह को डिटॉल से साफ किया. फिर कोई क्रीम चूत के अन्दर लगा दी.
और खुद ही मुझे एक-एक कपड़ा बड़े ही प्यार से पहनाया. खाने को एक गोली दी और मुझे चाय पिलाई.
इस तरह से मुझे डॉक्टर ने चोदा. अब मैं अपने घर की तरफ चल दी थी. पैरों में कुछ लंगड़ाहट थी.
घर में मैं सबसे बचते-बचाते अपने कमरे में आ पहुंची. दरवाजा अच्छे से बन्द किया और फिर से अपने कपड़ों को उतारकर रोज की तरह शीशे के सामने नंगी खड़ी हो कर अपने जिस्म को निहारने लगी.
आज मैं कुछ अलग सी लग रही थी. मैं पास पड़ी कुर्सी पर शीशे के सामने बैठ गयी और अपनी टांगें फैला कर सामने की ओर करके चूत के मुँह को फैला दिया. शीशे में मुझे मेरी चूत का गुलाबी-गुलाबी हिस्सा दिख रहा था. मेरी उंगली उस गुलाबी हिस्से को टच कर रही थी.
मैं आंखें बंद करके अपनी पहली चुदाई की याद में खो गयी कि कैसे मुझे डॉक्टर ने चोदा. अभी भी मुझे लग रहा था कि डॉक्टर मुझे चोदे जा रहा है. मैं उस अहसास से आज बिल्कुल भी बाहर नहीं आना चाह रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी और आवाज आई. मेरी मां मुझे खाना खाने के लिए बुला रही थीं.
धीरे-धीरे यह रोज कि दिनचर्या हो गयी थी. अब पहले मैं कॉलेज जाती और फिर डॉक्टर के पास. डॉक्टर ने मेरी चूची को पी-पी कर, मसल-मसल कर पिलपिले आम से एक आकर्षक शेप दे दिया था और चूत की भी शक्ल सूरत बदल चुकी थी.
कॉलेज के जो लड़के मुझे बहन जी बुलाते थे, अब वो मेरे आगे-पीछे घूमने लगे. मोहित भी मेरे आगे पीछे घूमने लगा. लेकिन अब मेरा पहला चूत का यार वो डॉक्टर था.
तो दोस्तो, मेरी कॉलेज गर्ल को डॉक्टर ने चोदा सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. आप सभी के मेल के इंतजार में आपका अपना शरद सक्सेना.
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