मैंने गाँव की लाल चूत चोदी. स्कूल के रास्ते में एक लड़की मुझे रोज़ मिलती थी। उसकी जवानी मुझे ललचाती थी। एक दिन मैंने उसे खेत में नंगी नहाती नंगी देखा …
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम युवराज है। मैं राजस्थान के जोधपुर जिले से हूं। मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं.
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। कोई गलती हो तो माफ़ कर देना।
ये गाँव की लाल चूत की कहानी उस वक्त की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा देने वाला था। मेरे घर से स्कूल 2 किलोमीटर दूर था तो मुझे हमेशा खेतों में से पैदल होकर ही जाना पड़ता था।
रास्ते में जाते हुए रोज मुझे एक लड़की मिलती थी। वो बहुत ही शर्मीनी टाइप की थी और रोज हमारा आमना-सामना होता था।
मुझे उसको देखकर अच्छा लगता था मगर कभी बात करने की हिम्मत नहीं हुई।
मुझे मगर इतना तो पता था कि वो वहीं पर पास के खेत में ही रहती है।
एक दिन की बात है कि मैं दोपहर के समय में लौट कर आ रहा था।
मुझे अब उसको देखने की आदत हो गई थी तो मैंने रास्ते में उसके दिख जाने का इंतजार किया.
लेकिन कुछ मिनट तक इंतजार करने के बाद भी वह नहीं दिखी।
फिर मैंने ध्यान दिया कि पास में से ही पानी गिरने की आवाज आ रही थी।
गर्मी का वक्त था तो मैंने सोचा कि थोड़ा पानी पी लेता हूं क्या पता तब तक वो लड़की दिख जाए।
उसके बाद मैं उस आवाज की ओर जाने लगा।
जब मैं उसके पास पहुंचने ही वाला था तो मेरी धड़कनें एकदम से बढ़ गईं।
मैंने देखा कि वो लड़की वहां एक ओर खड़ी होकर नहा रही थी।
उसने केवल एक छोटी सी चड्डी पहनी हुई थी और ऊपर से उसकी चूची नंगी थी जिन पर वो हाथ से मसलते हुए नहा रही थी।
ये नजारा देखकर तो मैं स्तब्ध रह गया।
मैंने पहली बार किसी लड़की को ऐसी अवस्था में देखा था। मैं बस वहीं खड़ा होकर उसे छुपकर देखने लगा।
उसकी गोल गोल चूचियों को जब वो अपने हाथों से दबा रही थी तो मेरे लंड में हिलौरियां लगने लगीं।
मैंने आसपास देखा तो कोई नहीं था।
गर्मियों के दिन थे और सब सुनसान पड़ा हुआ था।
मैंने वहीं पर अपनी पैंट की चेन खोली और लंड को बाहर निकाल लिया।
अपने लंड को हाथ में लेकर मैं सहलाने लगा।
उसकी चूचियों को देखने से मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी।
मैं वहीं पर खड़ा हुआ मुठ मारने लगा।
मैं अपने ही ध्यान में था कि उसकी नजर मुझ पर पड़ गई।
तो मैं एकदम से डर गया और वो घबरा कर अपनी छाती को अपने हाथों से छुपाने लगी।
मैं वहां से चुपके से निकल लिया।
घर जाने के बाद भी मेरे दिमाग में रात तक यही घटना घूमती रही।
मैं डर रहा था कि कहीं कुछ पंगा न कर दे वो लड़की … अगर उसने कुछ किसी को बता दिया तो घरवाले मेरे पीछे पड़ जाएंगे, बदनामी होगी वो अलग!
अगले दिन उस रास्ते से जाते हुए मेरी गांड फट रही थी।
मगर वो सामने से आती दिखाई दी।
मैंने हिम्मत की और मौका देखकर उससे कल वाली बात के लिए माफी मांग ली।
उसने भी कहा कि मैं इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहूं।
तब जाकर मेरे मन को थोड़ी शांति मिली।
अब कोई खतरा नहीं था।
मैंने उसे शुक्रिया कहा और निकल गया।
उस दिन के बाद से कभी कभार हमारी बात हो जाती थी।
जब कोई घर पर होता तो भी वो मुझे देख कर मुस्कराती थी।
इस तरह हमारी दोस्ती हो गई थी।
एक बार मुझे किसी दोस्त के यहां किताब लेने के लिए जाना पड़ा तो घर जाने में लेट हो गया था।
उस शाम काफी अंधेरा भी हो गया था।
जब मैं उसके खेत के करीब पहुंचा तो वो वहीं रास्ते पर लकड़ियां तोड़ रही थी।
उसने मुझे देखा तो खड़ी हो गई।
मैंने बात की तो पता चला कि आज उसके घर वाले सब दूसरे गांव गये हैं कुछ काम से! सिर्फ वो और उसका छोटा भाई यहां थे।
फिर उसने बताया कि सुबह वो लोग पशुओं को चारा डाल कर गांव चले जाएंगे।
तभी मैं जाने लगा।
वो- रुको ना … मैं भी चलती हूं लकड़ी लेकर!
मैं- ठीक है।
इस तरह से बात करते हुए ही अचानक उसने मुझसे पूछा- तुम्हारे साथ कितनी लड़कियां पढ़ती हैं?
मैं- कुल मिलाकर चार!
वो- तुम्हारी दोस्त कितनी हैं?
मैं- एक दो ही हैं बस!
फिर उसने पूछा- सिर्फ दोस्त या उससे ज्यादा?
तो मैंने कहा- सिर्फ दोस्त!
वो- मेरे दोस्त बनोगे?
इतना कहते ही मेरे अरमान भी जाग उठे।
मेरी आंखों के सामने उस दिन वाला नज़ारा आ गया। वो सांवली सूरत की कमसिन कली जो कि अभी ठीक से खिली भी नहीं थी कैसे अपनी चूचियों में उभरते यौवन को सहला रही थी।
मैं- क्यों नहीं, मैं तो तुम्हें अपनी सबसे खास दोस्त मानता हूं, और तुम हो कि ज्यादा बात ही नहीं करती।
वो- घर वाले होते हैं इसलिए नहीं कर पाती वर्ना मैं तो तुम्हें पसंद करती हूं।
जैसे ही उसने ये पसंद वाली बात कही तो मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उसके दोनों बाजुओं को पकड़ा और गालों को चूमने लगा।
एक दो चुम्बन लिया था कि अचानक इस तरह से वो घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी।
मगर मेरी पकड़ मजबूत होने के कारण वो नाकाम रही।
अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मुझे बोली- यहां कोई देख लेगा, छोड़ो मुझे!
वो भाग कर घर की तरफ जाने लगी।
मेरा भी पहली बार था और उसका भी तो दोनों डरे हुए थे। फिर भी मैं हिम्मत जुटाकर उसके पीछे गया तो वो घर के बाहर ही खड़ी थी।
मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
अचानक से वो पीछे मुड़ी और बोली- प्लीज़ यहां नहीं। पास वाले घर में चलो, यहां छोटा भाई है।
वो जल्दी से दूसरे घर की ओर चली और मैं भी उसके पीछे पीछे हो लिया।
वहां अंदर घर में एक चारपाई पहले से ही रखी हुई थी।
मैंने उसको बांहों में भर लिया और उसने पागलों की तरह चूमने लगा।
वो कसमसाने लगी। वो शर्मा रही थी लेकिन उसकी इस शर्म के पीछे किसी मर्द की छुअन की गर्मी कहीं जैसे बाहर आने को बेताब थी।
मैंने उसे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया।
उसके चूचे मेरी छाती पर कस कर दब गए।
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फैला दिए और उसकी चूत की ओर लंड के धक्के लगाते हुए उसके होंठों को बुरी तरह से खाने लगा।
पता नहीं इतनी वासना मेरे अंदर कितने दिनों से दबी पड़ी थी, मैं हैरान था।
शायद पहली बार का अनुभव था इसलिए कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करते हैं और कैसे करते हैं।
बस जो मन में आ रहा था किए जा रहा था।
मेरा लंड फटने को हो गया था और मैं बस अब किसी तरह चूत के दर्शन करके लंड उसमें घुसाने को तड़प रहा था।
मैंने उसे चारपाई पर डाल दिया और पागलों की तरह चूमने लगा।
उसके मम्में कमीज के ऊपर से ही दबाने लगा।
ज्यादा देर ना करते हुए मैंने उसकी कुर्ती को उतार फेंका और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
उसकी चूचियों के निप्पल एकदम से लाल हो गए और एकदम से तन गए थे।
ऐसा यौवन तो मैंने ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।
फिर मैं नीचे आया और उसकी सलवार खोल दी। मैंने उसे नीचे से नंगी कर लिया और अब वो केवल चड्डी में रह गई।
फिर मैं उसकी चड्डी को उतारने लगा। जो खजाना मैंने उस दिन नहीं देखा वो आज देखने जा रहा था।
उसकी चड्डी को उतारा तो एक कमसिन गीली हल्के बालों वाली चूत, जो कि अभी ही जवान हुई थी, मेरे सामने आ गई।
उसने अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढक लिया और अपने मुंह को छिपाते हुए अपनी जांघों को भींचने लगी।
मैं चारपाई के नीचे था और उसकी टांगों को बार बार खोलकर उसकी चूत को देखने की कोशिश कर रहा था।
शायद उसको मेरे सामने ऐसे नंगी लेटने में कुछ ज्यादा ही शर्म आ रही थी।
एक बार उसका हाथ उसकी दोनों चूचियों को ढकने की कोशिश करता तो दूसरा चूत पर आ जाता।
मगर इस दौरान उसका चेहरा फिर रह जाता। जब वो चेहरे को ढकती तो चूत नंगी हो जाती। फिर दोबारा से चूत को ढकती तो चूचियां नंगी दिखने लगतीं।
उसकी इस हालत से मेरे लंड में जोर का उफान उठा हुआ था।
फिर मैंने उसकी जांघों को कस कर पकड़ लिया और नीचे दबा लिया।
वो अपने चेहरे और चूचियों को छिपाए हुए अब चुपचाप सिकुड़ने की कोशिश कर रही थी।
मगर मेरे हाथ तले उसकी जांघों दबी हुई थीं। मैं उसकी चूत को अच्छे से देखना चाहता था।
पहली बार अपनी आंखों के सामने नंगी चूत देख रहा था इसलिए पूरा मुआयना करने की ख्वाहिश आज पूरी होने जा रही थी।
मैंने उसकी चूत की फांकों को अपनी दो उंगलियों से खोलकर देखा।
आह्ह … अंदर से चूत एकदम लाल थी।
गाँव की लाल चूत बहुत ही रसीली थी!
मैंने धीरे से उसमें अपनी आधी उंगली देकर देखी तो उसने मेरे हाथ को एकदम से झटक दिया।
अब मैंने दोबारा से उसकी चूत में उंगली देने की कोशिश की तो उसने फिर से मेरा हाथ हटा दिया।
मैं समझ गया कि आज ये चूत के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करने देगी। आज तो बस इसकी चूत में लंड देने का मजा ले लेता हूं।
तब मैं उठा और अपनी पैंट उतार कर अंडरवियर नीचे कर दिया।
मैं अपना लंड उसकी जांघों के बीच में लगाकर उस पर लेट गया और उसके हाथ हटाकर उसके होंठों को चूसने लगा।
वो आंखें बंद किए हुए मेरा साथ देने लगी।
नीचे से मेरा लंड उसकी कमसिन चूत में जाने के लिए रास्ता बना रहा था।
अब मैंने अपने हाथ पर थूका और नीचे हाथ ले जाकर लंड पर थूक मल दिया।
मैं थूक लगे लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अब तक मुझे कोई अनुभव नहीं था। सिर्फ दोस्तों से ही चुदाई की कहानियां सुनी थीं।
इसलिए मैंने उससे पूछा- तुम्हें दर्द होगा, पहली बार है।
वो बोली- नहीं, पहले भी किया है मैंने!
मैं हैरान था। मगर उसने आंखें नहीं खोलीं और न ही ये बताया कि वो किससे चुदी है।
फिर मेरी भी पूछने की हिम्मत नहीं हुई इसलिए मैंने देर करना ठीक नहीं समझा।
मैंने उसकी टांगों के बीच अपना लौड़ा उसकी चूत पर रखा और एक जोर का धक्का मारा तो लंड आधा अन्दर चला गया और उसकी हल्की सी आह्ह … निकल गई।
लंड तो मेरा भी ज्यादा मोटा लम्बा नहीं था।
मुझे ये भी नहीं पता था कि वो कितनी बार चुदी है और कैसा लंड लिया है उसने!
मगर फिर भी इतना तो पता चल रहा था कि उसको दर्द तो हो रहा था।
फिर मैंने दूसरे धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में उतार दिया और उस पर पूरा का पूरा लेट गया।
अब हम दोनों के बदन चिपक गए थे।
उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूत में लंड को आगे पीछे करने लगा।
बहुत टाइट चूत थी। लग रहा था जैसे लंड कहीं फंसता हुआ अंदर बाहर हो रहा है।
इतना मजा आ रहा था कि मैं जैसे उसकी चूत में खो ही गया था।
मन कर रहा था जिन्दगी भर ऐसे ही मैं उसके ऊपर लेटे हुए इसको चोदता रहूं।
मैं लगातार उसे चूम रहा था। कभी गालों पर तो कभी होंठों पर और कभी गर्दन पर!
उसने अब धीरे धीरे अपनी टांगें मेरी गांड पर लपेट ली थीं और चूत खोलकर अच्छे से लंड का स्वागत कर रही थी।
इतना मजा आ रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा था।
फिर मेरी स्पीड बढ़ने लगी। अब वो भी बहुत गर्म हो गयी थी और उसने मेरे होंठों को खाना शुरू कर दिया।
मैं उसके होंठों को उतनी ही जोर से खा रहा था और पूरे जोश में उसकी चूत को पेल रहा था।
अभी चुदाई चलते हुए 5 से 7 मिनट हुए थे कि मुझे लगने लगा कि मैं अब टिक नहीं पाऊंगा।
मैं चाहता था कि ये मजा लम्बा चले मगर उत्तेजना इतनी थी कि स्खलन नजदीक मालूम पड़ रहा था।
चाहते हुए भी मैं अपने धक्कों की स्पीड कम नहीं कर पा रहा था।
फिर एकदम से मेरे लंड में अकड़न हुई और जोर जोर से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छूटने लगीं।
5-6 पिचकारियां निकलते निकलते जो आनंद मैंने प्राप्त किया वो दुनिया का सबसे सुखद आनंद था।
मुझे नहीं पता था कि चूत में स्खलन जब होता है उस आनंद की जगह कोई दूसरी क्रिया नहीं ले सकती।
मैं तो जैसे स्वर्ग पा गया था।
हांफता हुआ मैं उस नशे में उसके ऊपर गिर गया। वीर्य निकल गया था लेकिन फिर भी चूत में लंड होने का मजा लेता रहा; उठने का मन नहीं कर रहा था।
मगर उसने मुझे लेटा नहीं रहने दिया और उठाने लगी।
मैंने भी सोचा कि बहुत लेट हो गया है। अब तो हर हाल में यहां से जाना होगा।
मैं उठ गया और मैंने अपनी पैंट ऊपर करके बांध ली।
वो भी उठी और चड्डी ऊपर करके अपने कपड़े पहनने लगी।
फिर उसने मेरा बैग मुझे दिया और वहां से जाने के लिए कहा।
मैं भी अब जल्दी घर पहुंचना चाहता था तो वहां से निकल लिया।
उसके बाद भी मैंने उस सांवली लड़की को कई बार चोदा।
फिर उसके घरवालों ने उसकी शादी कर दी।
मगर बहुत दिनों बाद मुझे वो इस लॉकडाउन में मिली।
इन सब घटनाओं को मैं अपनी आने वाली कहानियों में बताऊंगा। इस तरह मेरी जिन्दगी में गाँव की लाल चूत चुदाई का वो पहला अनुभव था।
आपको मेरी यह गाँव की लाल चूत की स्टोरी कैसी लगी मुझे बताएं।
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