पोर्न स्कूल गर्ल सेक्स कहानी में एक लड़की ने अपनी पहली चुदाई का वर्णन किया है. उसने पड़ोस के लड़के के पास नंगी फोटो वाली किताब देखी तो वैसे ही करने को कहने लगी.
साथियो, मेरा नाम मीना है. मैं 24 साल की मंझले कद की औरत हूँ. मेरे बाल और आंखें काली हैं.
मेरे पति की कपड़ों की छोटी सी दुकान है.
मेरी एक सहेली है, जो अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ती है.
उसी सहेली के बताने पर एक बार मैंने भी कुछ कहानियाँ पढ़ी थीं … मुझे काफ़ी मज़ा आया था.
सच बताऊँ तो मेरा भी मन कहानी भेजने को हुआ पर झिझक के चलते मैं नहीं भेज सकी थी.
पर आज मैं भी अपनी पोर्न स्कूल गर्ल सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
वैसे तो मैं अब तक 5 गैर मर्दों से चुद चुकी हूँ. दो बार तो मेरी चुदाई जबर भी हो चुकी है, पर किसी को कुछ भी पता नहीं चला था.
बस मेरे पति को छोड़ कर … वो भी बस एक बार का, क्योंकि दूसरी बार तो उनके सामने ही मेरा चोदन हुआ था.
पर वो सब बाद में लिखूँगी. आज मैं अपनी सबसे पहली चुदाई की कहानी बता रही हूँ.
उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी. उस समय मैं कमसिन लड़की थी. उस समय मेरी चूचियाँ उठनी शुरू ही हुई थीं. मेरी बुर पर झांटें नहीं आई थीं.
चुदाई क्या होती है, मुझे कुछ नहीं पता था.
मेरे पड़ोस में अजय नाम के भैया रहते थे, वो कॉलेज में पढ़ते थे.
मैं अक्सर उनके घर जाया करती थी.
एक दिन वे नहा रहे थे तो मैं उनकी किताब के पन्ने पलटने लगी.
उन्होंने अपनी किताब के बीच में एक दूसरी किताब छिपा रखी थी, जिसमें बस फोटो ही थे, वो भी नंगे.
उन फोटो में साफ दिख रहा था कि काफ़ी बड़े और मोटे लंड वाले लड़कों ने लड़कियों की गांड और बुर (चूत) में अपने लौड़े घुसा रखे थे.
मैं बड़े ही ध्यान से उन चित्रों को देख रही थी कि तभी अजय भैया नहा कर आ गए.
मुझे उधर देख कर तो उनकी हालत खराब हो गई.
वो मेरे हाथ से किताब लेते हुए बोले- मीना, ये क्या कर रही हो?
मैंने दबंगई से उन्हें आप की जगह तुम कहते हुए बोला- तुम्हारी किताब देख रही थी. मैं चाची से पूछूंगी कि बड़ी क्लास में ऐसे ही किताबें पढ़ने को मिलती हैं क्या?
मेरे मुँह से इतना सुन कर उनकी गांड फट गई.
वे धीरे से बोले- मीना ऐसा मत करना, नहीं तो मेरी पिटाई हो जाएगी … क्योंकि मैं गंदी किताब पढ़ रहा था.
‘पर क्यों?’
मेरे ये पूछने पर वो बोले- तू नहीं समझेगी, तू अभी छोटी है. मुझे इसमें अच्छा लगता है.
मैं बोली- मुझे भी बताओ कि इसमें तुम्हें क्या अच्छा लगता है, नहीं तो मैं तो कहूँगी.
“पर तू काफ़ी छोटी है. तू वैसे नहीं कर पाएगी!”
मैं बोली- वो तो जैसे किताब में कर रहे थे, क्या सच में वैसे ही करते हैं?
वो बोला- हां.
मैंने कहा- तो तुम्हें मेरे साथ वैसे ही करना होगा.
अब वो भी क्या करते.
कमरे के दरवाजे की कुंडी बंद करके मेरे पास आए और उन्होंने अपनी तौलिया हटा दी.
उनका लंड पूरा खड़ा था.
मैंने भी तुरंत ही अपनी फ्राक और चड्डी उतार दी. मेरे हाथ भर का तो भैया का लंड ही था.
मैं आगे आई और उस मूसल को अपने जिस्म से सटा कर उसे अपनी छोटी सी चूत में घिसने लगी.
फिर मैं पूरी ताक़त से भैया का लंड अपनी बुर में घुसाने की कोशिश रही थी पर भैया के लंड का सुपारा भी अन्दर नहीं जा पा रहा था.
वो बोले- देखा … मैंने कहा था न कि तुम भी छोटी हो, नहीं हो पाएगा.
पर मुझे अपनी बुर में भैया का लंड लेना था.
मैं बोली- तुम लेटो.
वो लेट गए.
मैंने देखा कि उनके लंड से पानी सा निकल रहा था जो कि काफ़ी चिकना भी था.
मैं उनके लंड को अपनी चूत के मुँह पर हल्के से रगड़ने लगी.
गर्म लंड चूत को काफ़ी अच्छा लग रहा था और उसके पानी से मेरी पूरी चूत गीली और चिकनी हो गई थी.
अब मैं टट्टी करने वाली पोजीशन में भैया के लंड पर बैठ गई और पूरी ताक़त से अपनी चूत उनके लंड पर दे मारी.
मेरे ऐसा करते ही भईया का हाथ भर का लंड मेरी चूत की सील फाड़ता हुआ मेरी बुर में अन्दर तक जा घुसा.
चूंकि मेरी बुर गीली और चिकनी हो गई थी और लंड एकदम से घुस जाने मुझे इतना दर्द हुआ कि मेरा मुँह चीखने को खुल तो गया, पर आवाज़ ही बाहर नहीं आ पाई.
बस एक ‘आई मर गई …’ की हल्की सी आवाज़ ही निकल पाई और मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया.
अजय भैया तो डर के मारे मुझे हिला कर जगाने लगे, फिर मुझे कुछ होश आया तो मैं हल्के से मुस्करा दी.
तब भैया की जान में जान आई.
वो बोले- बस अब रहने दो, तुम से नहीं हो सकेगा.
पर मैं बोली- एक बार और!
इतना कहते ही मैं भैया के लंड को अपनी चूत में अन्दर करने के लिए फिर से ज़ोर लगाने लगी.
मेरे पूरे बदन से पसीना बह रहा था, पर उनका आधा ही लंड मेरी चूत में घुस पाया था … बाकी जा ही नहीं रहा था.
जबकि मेरी चूत से निकला खून भी अब सूख चुका था.
मैंने अपने दोनों पैर हवा में उठा लिए और मेरा पूरा वजन भैया के लंड पर था जो आधा मेरी चूत में घुसा हुआ था, पर एक इंच भी अब और अन्दर नहीं जा रहा था क्योंकि मेरी चूत में अब जगह ही नहीं बची थी.
फिर अजय भैया ने मुझे बगल में लिटाया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगे.
पर लंड पूरा मेरी बुर के मुख में कॉर्क की तरह से फंसा होने के कारण आगे पीछे नहीं हो पा रहा था.
फिर भी उनके लंड से पानी छूट गया और मेरी जलती हुई बुर को काफ़ी आराम मिला.
उसके बाद मैंने अपनी चूत को देखा, वो फैल गई थी तथा उसके अन्दर का हल्का गुलाबी रंग काफ़ी अच्छा लग रहा था.
मुझे अपनी बुर में जलन सी हो रही थी मगर ये जलन न जाने क्यों मुझे मीठी सी लग रही थी.
मेरी चाल भी कुछ गड़बड़ा गई थी और मैं पैर फैला कर चलने लगी थी.
मेरी इस तरह की चाल को देख कर अजय भैया मंद मंद मुस्कुरा रहे थे.
भईया की ये मुस्कान मुझे लजा सी रही थी.
फिर किसी तरह से आगे बढ़ कर मैंने अपनी फ्राक पहनी और चड्डी पहनने लगी तो वो अजय भईया ने मेरे हाथ से छुड़ा कर ले ली.
मैंने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा तो उन्होंने कहा- ये निशानी के तौर पर मेरे पास रहेगी.
मैं समझ गई और मैं भी मुस्कुरा दी.
फिर जाते जाते मैंने भईया की वो सेक्सी किताब उठा ली और उसे एक अखबार में लपेट कर मैं अपने घर आ गई.
मैं अजय भैया के पास से चली तो आई अगर बुर में मीठे दर्द के कारण सारी रात एक अजीब सी चुल्ल मेरी बुर में होती रही.
मैं बार बार अपनी बुर पर हाथ ले जाती लेकिन बुर कचौड़ी सी फूल गई थी और उसमें हाथ लगाने से मुझे एक कल्लाहट सी हो रही थी.
अब हालत ये थी कि बुर में बेचैनी थी और हाथ बार बार वहीं जा रहा था.
मेरी उस दशा में मेरी गांड ने मेरा साथ दिया और मैं अपनी गांड सहलाने लगी.
उसी समय मेरा हाथ तकिए के नीचे छिपा कर रखी उस सेक्सी किताब पर चला गया.
किताब बाहर आ गई और मैं उसमें छपे सेक्सी पोज देखने लगी.
कुछ ही समय में बुर में फिर से खुजली होने लगी लेकिन बुर तो फटी पड़ी थी.
खैर उस वक्त इतना हुआ कि मैं गरमा गई.
मेरे प्यारे दोस्तो, इतनी कम उम्र में मैंने अपनी बुर में लंड ले लिया था और कसम से सच बता रही हूँ कि मुझे जरा भी मजा नहीं आया था, पर जोश एक ऐसी चीज है, जो कि नादानी में कुछ भी करवा देती है.
अब तो मुझे नशा सा होने लगा था कि अगर बड़े लोग कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं कर सकती.
लंड लेने के बाद मेरी बुर काफी दर्द कर रही थी. मुझसे चला भी नहीं जा रहा था.
मुझे ऐसा लग रहा था कि अभी भी कुछ अन्दर घुसा पड़ा है.
मैं सोच रही थी कि जब दर्द होता है तो लोग इसे करते ही क्यों हैं.
रात के दस बज रहे थे कि तभी मुझे पेशाब लगी और मैं बाथरूम की तरफ चल दी.
बाथरूम का दरवाजा खुला था और मेरी मम्मी अन्दर दिख रही थीं.
मैं दरवाजे के पास ही परदे के पीछे खड़ी हो गई.
तभी मेरी मम्मी बाहर निकलीं, उनको देख कर मैं चौंक गई क्योंकि वो बिल्कुल नंगी थीं.
उसके बाद वो किचन में घुस गईं और कुछ देर के बाद मैंने उनको बाहर आते देखा.
फिर जैसे ही वो बेडरूम में घुसने के लिए घूमीं, मैं फिर से चौंक उठी क्योंकि उनकी गांड में एक मोटा और लम्बा सा बैगन घुसा हुआ था.
अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उनकी पूरी कारस्तानी देखने का मन बना लिया.
मम्मी के कमरे में घुस जाने के बाद उन्होंने दरवाजे बंद कर लिए थे.
मैं दरवाजे के पास आई और उसके एक छेद से अन्दर देखने की कोशिश करने लगी.
काफी कोशिश करने पर भी मैं कुछ भी देख नहीं पाई.
पर मुझे लगा कि बुर की जगह गांड में लंड लिया जाता है, तभी तो मम्मी अपनी गांड में उतना मोटा बैगन डाल कर नंगी घूम रही थीं.
मैंने शायद भैया का लंड गलत छेद में ले लिया है.
अगले दिन सण्डे था तो मैं फिर से अजय भईया के घर पहुँच गई.
उस दिन उनके घर भैया के अलावा और कोई नहीं था.
उनसे पूछने पर जानकारी हुई कि एक हफ्ते तक अब भैया ही घर में अकेले रहेंगे. घर के सभी लोग शादी में गए हैं और भैया अकेले ही घर की देखभाल करने रुक गए हैं .
ये जानकर मैं बहुत खुश हुई.
मैं मुस्कुरा कर भैया से बोली- कल वाला खेल फिर से खेलें?
उन्होंने कहा- हां जरूर.
भैया ने मुझे अन्दर बुलाया और खुद दरवाजे की कुण्डी लगा कर वापस आ गए.
अन्दर आकर भैया ने तेज आवाज में म्यूजिक चालू कर दिया.
फिर खिड़की को भी बन्द कर दिया.
मैंने पूछा तो वे बोले कि हमारी आवाज बाहर न जाने पाए, इसलिए ये सब किया है.
अगले कुछ ही पल बाद वो अपने कपड़े उतार कर पूरे नंगे हो गए.
भैया का लंड किसी भाले के समान तना हुआ था. फिर उनके कहने पर मैंने उनके लंड को मुँह में ले लिया और चाटने चूसने लगी.
काफी देर बाद भैया ने मुझे पीठ के बल लिटाया और अपना लंड पोर्न स्कूल गर्ल की बुर पर रगड़ने लगे.
मैं बोली- आज गांड की बारी है, गांड में डालो.
इस पर वो बोला कि पहली बार गांड में करने पर बहुत दर्द होता है. तुम दर्द से चिल्लाने लगोगी और भाग खड़ी होगी.
पर मेरे बार बार कहने पर वो मान गए.
मैं बोली- तुम तब तक चोदना, जब तक की गांड का छेद पूरी तरह से खुल न जाए. चाहे मैं कितना भी चिल्लाऊँ या चीखूँ … तुमको लंड बाहर नहीं निकालना है.
भैया ने हामी भर दी.
फिर क्या था … उन्होंने मुझे पेट के बल लिटाया और मेरी जाँघों के नीचे तकिया लगा दिया.
भैया ने फिर लौड़े और मेरी गांड के सुराख पर तेल मला और अपना मोटा मूसल जैसा लंड मेरी गांड के छेद पर रख कर अपनी पूरी ताकत से चाँप दिया.
पक्क की आवाज के साथ समूचा लंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं नादान लड़की जल बिन मछली की तरह तड़प उठी.
मेरी गांड फट गई थी और उसमें से खून आ रहा था.
मेरे मुँह से तेज आवाज में चीखें निकल रही थीं- ओह आह … मर गई … उई रे माँ हाय … उफ ओह इतना दर्द होता है रे माई … नहीं पता था हाय रे … मेरी गांड गई आज!
तभी अजय ने अपना पूरा लंड मेरी गांड से बाहर निकाल दिया और मेरी गांड से ढेर सारी टट्टी निकल गई.
काफी सारी टट्टी भैया के लंड पर भी लगी थी, पर उन्होंने बिना परवाह किए गप्प से लंड मेरी गांड में फिर से पेल दिया.
उईईई मरी रे …
मैं दोबारा चीख उठी, पर वो नहीं रूके.
वो हर बार अपना लंड पूरा बाहर निकालते और झटके से पूरा पेल देते.
गांड का गू लुब्रिकेशन का काम कर रहा था. भैया धकापेल मचाए थे.
कोई पच्चीस मिनट बाद भैया का पानी टपकने के बाद ही उन्होंने मुझे छोड़ा.
उस दिन के बाद मैं लगभग रोज यही खेल खेलने लगी. मुझे बुर में मजा नहीं आता था क्योंकि मैं काफी छोटी थी.
हां पर मेरी गांड पूरा लंड अन्दर तक चला जाता था और मुझे गांड मरवाने में खूब मजा आता था.
हालत ये हो गई थी कि अगर दो दिन भी छूट जाते थे, तो मेरी गांड में अजीब सी खुजली जैसी होने लग जाती थी.
शेष बाद में लिखूँगी कि किस तरह से मैंने अपनी बुर का भोसड़ा बनवाया.
इस पोर्न स्कूल गर्ल सेक्स कहानी पर आपके कमेंट्स पढ़ कर मुझे अच्छा लगेगा.
आपकी मीना
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