राज मोरे
नमस्कार पाठको, मेरा नाम राज है। मेरी उम्र 20 साल है, मैं मुंबई का रहने वाला हूँ। यह मेरी सच्ची कहानी है।
बात पिछले साल की है, जब मैं छुट्टियों में मामा के गाँव गया था। मुझे गाँव में आकर दो-तीन दिन हुए थे और सब अच्छा चल रहा था।
तब एक दिन अचानक मेरी मौसी की लड़की जो पूना में रहती है, छुट्टियां मनाने मामा के गाँव आई। उसका नाम मनीषा है, उसकी उम्र 21 साल है, वो मुझसे एक साल बड़ी है, उसे प्यार से सब मनु बुलाते हैं। मैं भी उसे मनु बुलाता हूँ। वो दिखने में किसी हिरोइन से कम नहीं है।
उसने मुझे देखा फिर भी अनदेखा करके नाना-नानी मामा-मामी सबके हाल-चाल पूछे और फ्रेश होने चली गई।
मैं तो हैरान रह गया कि उसने मेरे साथ बात क्यों नहीं की। तब मैंने सोचा कि वो शहर से आने के कारण भाव खा रही है। तो मैं भी उसकी तरफ ध्यान ना देते हुए बाहर चला गया।
गाँव मे सब लोग जल्दी ही खाना खाकर सो जाते हैं, इसकी वजह से मैं वापस आया, फ्रेश हुआ और हम सब मिल कर खाना खाने बैठ गए और खाने के साथ इधर-उधर की बातें कर रहे थे। मनु के आने से सब लोग खुश थे, सिवाय मेरे, वो मुझसे बात ही नहीं कर रही थी।
मैं क्यों खुश होऊँ, जिधर कल तक मेरा लाड़ प्यार हो रहा था। वो अब मनु के आने से कम हुआ था। ऊपर से मनु मुझसे बात नहीं कर रही थी। यह सोच कर मैं और परेशान हो रहा था। हम सब खाने के बाद टीवी देखने लगे।
तो मामा बोले- टीवी देखना बन्द करो, सुबह जल्दी उठना है, शादी में जाना है।
मैंने कहा- ठीक है।
और मैं सोने के लिए छत पर चला गया। छत पर एक बेड और टीवी था और बेड पर मच्छरदानी बंधी थी। ये सब इंतजाम मेरे मामा ने किया था क्योंकि उन्हें पता था कि मैं जब गाँव आता हूँ तो मैं खुली हवा में सोता हूँ। मैं सब को शुभ-रात्रि कह कर सोने गया।
फिर भी मनु मुझसे कुछ नहीं बोली और मैं टीवी चालू करके देखने लगा।
मेरा मन ही नहीं लग रहा था। मैं मनु के बारे में सोचने लगा कि क्या बात हो सकती है? क्यों मनु मुझसे बात नहीं कर रही है।
खैर.. जाने दो, वो बात नहीं करना चाहती तो ना सही, उससे मुझे क्या फर्क पड़ेगा और मैं टीवी देखने लगा।
फिर मैं सो गया। देर रात तक टीवी देखने के कारण मैं सुबह देर से उठा और नीचे आया तो मुझे कोई नहीं दिखा।
मैंने मामा को फोन किया, तो मामा बोले- हम सब शादी में आ गए हैं, शाम तक आएंगे। मनु को घर पर ही है, तुम उसका ध्यान रखना।
मैंने कहा- ठीक है।
और फोन रख दिया और मैंने फोन रखकर। मनु को खोजा, पर वो मुझे नहीं दिखी।
मैं सुबह का काम करके नहाने गया। मैंने बाथरुम का दरवाजा खोला। तो जैसे मानो बिजली कड़की। आसमान गिर पड़ा। मेरी तो आँखें खुली की खुली रह गईं। मैंने झट से दरवाजा बंद किया और छत पर चला गया, सोचने लगा कि उसने मुझे देखा तो नहीं।
मेरे आँखों के सामने मनु बार-बार आने लगी। उसका रूप अप्सरा जैसा, कसी हुई गांड, उसके लंबे काले भूरे बाल, उसकी पतली कमर उसका गोरा-गोरा बदन… हय… मेरे तो होश ही उड़ गए।
हालांकि उसने मुझे देखा नहीं था, उसका चेहरा दूसरी तरफ था, मैंने उसे पीछे की तरफ से देखा था। थोड़ी देर बाद मैं नीचे आया, मनु तैयार हो चुकी थी।
मैं उसकी तरफ ध्यान ना देते हुए बाथरुम की तरफ गया।
तभी मनु ने आवाज दी और बोला- कैसे हो..!
मैं एकदम से हिल गया। कतराते-कतराते कहा- ठीक हूँ और तुम कैसी हो?
वो बोली- कुछ खास नहीं, पर सब ठीक है।
फ़िर हल्की आवाज में कहा- पर मुझे भी बदला लेना है।
मैंने कहा- क्या..!
वो बोली- कुछ नहीं… जल्दी नहा कर आ जाओ, साथ में नाश्ता करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं नहाने गया, नहाते समय मैंने देखा कि दोनों ब्रा और दोनों चड्डियाँ अन्दर ही थीं, शायद वो भीग गए होंगे और सुखाने के लिए रख दिये होंगे।
मैंने उसकी ब्रा को छुआ, बहुत ही नाजुक लग रही थी। उसकी चड्डी जैसे कोई मटका रखने वाली रस्सी जैसी थी और क्यों नहीं हो, उसकी गांड भी तो मटके जैसी थी।
मैं नहा कर बाहर आया, कपड़े पहने और नाश्ता करने आ गया।
वो मुझसे बात करने लगी। हमने बहुत सारी बातें की, पर मेरी नजर बार-बार उसके टॉप पर जा रही थी। उसने एकदम फिट कपड़े पहने थे, पर कुछ नहीं दिख रहा था।
दोपहर का खाना हुआ, हम टीवी देखने लगे। मैं चैनल बदल रहा था।
तभी वो बोली- रुको पीछे वाली पिक्चर लगाओ..!
मैंने कहा- कौन सी..!
वो बोली- आस्था..!
मैं बोला- ये कौन सी है?
वो बोली- ठीक है, तुम्हें जो देखना है, वो देखो।
जैसे-तैसे वक्त गुजरा और मामा-मामी आ गए। फिर खाने के बाद हम सोने गए। मैं लेटे-लेटे मनु के बारे में सोचने लगा और मैं मेरे लंड को सहलाने लगा। न जाने कब मैंने अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया और लंड को हिलाने लगा। हिलाते-हिलाते मैं झड़ गया।
फिर मैंने कपड़े पहने और टाइम देखा तो 8:10 हुए थे, तभी मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी।
मैं टीवी ही देखते रहा तभी देखा कि नानी, मामी और मनु को देखा। तो मैं एक बार तो डर गया कि इन्होंने मुझे मुठ्ठ मारते देखा तो नहीं।
मैं चुचाप टीवी देखता रहा, उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
नानी को पास आते देख कर, मैं बोला- क्या हुआ?
नानी बोलीं- मनु को बोरियत हो रही है, तो छत पर आ गए, थोड़ी देर बैठते हैं और फिर चले जायेंगे।
मैंने कहा- बैठो..!
कुछ देर बाद वे सब जाने लगे, उन्होंने मनु को आवाज दी, पर मनु नहीं उठी। वो गहरी नींद में थी, नानी और मामी थके हुए थे।
वो सोने के लिए चले गए और जाते-जाते उन्होंने बोला- परेशान नहीं करना।
और वे चले गए। उस समय रात के 9 बजे थे।
मनु उठी और बोली- गए क्या..!
मैं बोला- हाँ..!
वो बोली- कितना अच्छा लगता है, छत पर..! और अंगड़ाई लेते हुए उसने मेरे पेट पर हाथ रखा।
मैं बोला- नींद में हो क्या?
वो बोली- नहीं, मुझे चिपक कर सोने की आदत है।
मैंने कहा- सो जाओ..!
उसने मेरे ऊपर पैर डाला और चिपक गई। मेरी साँसें तेज होने लगीं।
मैं सो ही रहा था तभी अहसास हुआ के उसका पैर मेरे लंड पर घिस रहा है और हाथ छाती पर था।
मैंने सोने का नाटक जारी रखा।
उसने मेरे एक-एक कर कपड़े उतारे और मुझे पूरा नंगा किया और मुझे उठाने लगी, मैं उठा और बोला- यह क्या कर रही हो?
वो बोली- क्यों क्या हुआ? मैंने कहा था न, कि मुझे भी बदला लेना है, तो ले लिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !सुबह जब मुझे देख रहे थे, तब तुमने तो मुझे पीछे से देखा था, मैंने तो तुझे पूरा देख लिया। मैंने मेरा बदला ले लिया, अब तुम क्या करोगे?
मैं बोला- तू पागल है क्या?
तो हंसी और बोली- थोड़ी सी..! अच्छा मैं नीचे जा रही हूँ।
मैं कुछ नहीं बोला। वो चली गई।
मैंने उठ कर कपड़े पहने और सो गया।
तभी वो वापस आई और बोली- सो गया क्या?
मैं कुछ नहीं बोला, वो बोली- नाराज हो?
मैं चुपचाप सोया रहा। वो मेरे बाजू में आकर सो गई और बोली- मुझे माफ कर दो।
मैंने कहा- तुम ऐसा करोगी, मैंने सोचा नहीं था।
वो बोली- माफ भी कर दो।
मैं बोला- माफ कर दिया, पर मुझे यह बताओ कि तुम जब पूना से आई थीं, तब तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही थीं?
वो बोली- मैंने तुम्हें यहाँ पर देखा, तो मैं मन ही मन में खुश हो गई कि तुम मेरा अकेलापन दूर करोगे और मैं तुम्हें इसलिए तरसाती रही कि तुम मेरे बारे में ज्यादा सोचो।
मैं बोला- मैंने तो तेरे बारे में कुछ भी नहीं सोचा।
वो बोली- तब नहीं सोचा, पर अब तो सोचोगे।
मैंने कहा- क्या सोचना है..!
बोली- आगे देखते जाओ।
मैं बोला- क्या..!
वो बोली- कुछ नहीं… सो जाओ..!
मैं बोला- अब कुछ मत करना।
और सो गया। रात के दस बजे थे, मैंने सोते हुए हाथ और पैर डाला, मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं किसी गुड़िया से लिपटकर सो रहा होऊँ। अभी मेरी बारी थी, मैं उसे पूरा देखना चाहता था। लेकिन कैसे करूँ..!
मैंने फिर उसका गाउन हटाने की शुरुआत की। जैसे-जैसे गाउन को उठाने लगा, वैसे मेरे होश उड़ गए।
मैंने धीरे-धीरे उसे पूरा नंगा कर दिया। उसका गोरा चिकना बदन देखा, तो ऐसा लगा कि खा जाऊँ। वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। मैं उसे देख रहा था। मैंने किसी लड़की को ऐसे देखा नहीं था। उसकी चूत और उसके ऊपर जैसे बालों की मखमली चादर। उसके स्तन क्या लग रहे थे..! मुझे उसे छूने का मन हो रहा था। मैंने हिम्मत करके उसके स्तनों को छुआ।
छूते ही मेरे बदन मे कंपकपी दौडने लगी। ऐसा लगा मैदे के गोले को छू रहा होऊँ। इतने मुलायम और नाजुक थे।
मैं तो बेकाबू हो गया था और मैं उसके बदन से खेल रहा था।
वो सो रही थी, मैंने उसे उठाया और बोला- मैंने भी मेरी इच्छा पूरी कर ली है। मैंने तुम्हें पीछे से देखा था, पूरा देखने की इच्छा थी, सो पूरी कर ली।
और उसकी तरफ देखने लगा। वो शरमाते हुए अपने बदन को ढकने लगी।
मैंने कहा- अब क्यों शरमा रही हो..!
वो कुछ ना बोलते हुए चादर ओढ़ कर वैसे ही पड़ी रही। इतने में थोड़ी ही मेरा समाधान होने वाला था सो मैंने उसके ऊपर हाथ रखते हुए बोला- कैसा लग रहा है..!
वो बोली- ठंडा लग रहा है।
मैं बोला- गर्म कर दूँ..!
वो गुस्से में बोली- चुपचाप सो जा।
कहानी जारी रहेगी।
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