किस्मत खुली, चूत फटी-1 (Kismat Khuli Chut Fati- Part 1)

हाय दोस्तो, मैंने अन्तर्वासना की लगभग सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। सभी कहानियाँ मुझे अच्छी लगीं। मैं अपनी एक सच्ची कहानी इस मंच पर आप सबके सामने व्यक्त कर रहा हूँ।

पहले मैं अपने बारे में बता देता हूँ। मेरा नाम विशाल है, मैं नागपुर में रहता हूँ। मेरी उम्र 20 साल है और इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष का छात्र हूँ।

बात पिछले साल की है, जब मैं दूसरे वर्ष में था, हम नागपुर में एक फ्लैट में रहते हैं। अन्तर्वासना के मंच पर जब भी कोई कहानी पढ़ता, तब मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। तो मुझे लगा एक बार तो सेक्स का मजा लेना चाहिए, पर क्या करता मैंने कोई माल नहीं पटाया था पर मेरी सेक्स करने की इच्छा बढ़ने लगी।

एक दिन इसी सोच में मैं शाम को अपने फ्लैट के छत पर खड़ा था, तभी छत पर एक लड़की फोन पर बात करते हुए आई, उसका नाम अनिता था, उम्र 19, हल्का सांवला रंग, गोल-गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें थीं। वो हमारे ही सामने वाले फ्लैट में रहती थी। वो भी इंजीनियरिंग की छात्रा थी।

मैं उसका सीनियर था इसलिए वो मुझसे बातें करती, पढ़ाई में मदद मांगती, मैंने उसे कभी गलत नजरों से नहीं देखा था, पर उस दिन मैं सेक्स की आग में जल रहा था, तो वो मुझे अच्छी लगने लगी।

उस दिन अनिता मुझे कोई परी की तरह लग रही थी।

अनिता ने मुझे देख लिया था कि मैं उसे घूर रहा हूँ।
वह मेरे पास आई और कहा- विशु क्या कर रहा?
अनिता मुझे विशु कहती थी।
मैं- कुछ नहीं!

अनिता- तो यहाँ छत पर अकेले क्या कर रहा है?
मैं- कुछ नहीं यार, तू बता किससे बात कर रही थी?
अनिता- अरे वो कॉलेज-फ्रेन्ड था!
मैं- फ्रेन्ड या बॉय-फ्रेन्ड?
अनिता- मेरा कोई बॉय-फ्रेन्ड नहीं है यार!
मैं- क्यूँ?
अनिता- यार, कोई मुझे पसंद ही नहीं करता!

मैं हाथ में आया मौका गँवाना नहीं चाहता था।
फिर मैंने कहा- कोई तुझे पसंद करता है।
अनिता- कौन?
मैं हँसते हुए- मैं करता हूँ ना तुझे पसंद!
अनिता गुस्से में मुझे घूरने लगी और कहा- मैं मजाक के मूड में नहीं हूँ!

मैंने इधर-उधर देखा, छत पर और कोई नहीं था और अंधेरा भी हो गया था, मैंने अपने दोनों हाथों से उसके झुके हुए चेहरे को पकड़ा और अपनी ओर उठाया, कहा- मैं मजाक नहीं कर रहा, मैं तुझे पसंद करता हूँ…। ‘आई लव यू’
कह कर उसे चूम लिया।

मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था और मैं सोचने लगा कि अब ये क्या करेगी!
अब भी अनिता मुझे घूर रही थी कि अचानक अनिता के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आई।
तब अनिता ने मुझसे कहा- यह बात पहले नहीं बोल सकता था… डरपोक!

उसके ये शब्द सुनते ही मैं बहुत खुश हुआ, मैंने अनिता का हाथ पकड़ा और उसे छत पर बने वाटर टैंक के पीछे ले गया और उसके होंठो को चूसने लगा।
अनिता मुझे मना कर रही थी पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैं चुम्बन किए जा रहा था।
अब अनिता को भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।

अब मेरी जीभ अनिता के मुँह में घूमने लगी। कभी वो मेरी जीभ चूसती तो कभी मैं!
मैं गर्म हो गया था, मेरा एक हाथ अनिता के मम्मे पर आ गया और मैंने उसे जोर से दबाया तो अनिता चिल्लाई- आहऊउ…।
मुझे जोर से धक्का मारा और कहा- कोई देख लेगा और मम्मी-पापा भी ऑफिस से आते ही होंगे!
इतना कहकर वह वहाँ से चली गई, मैं भी अपने घर आ गया।

मैंने रात को अनिता को मैसेज पर कहा- तुम कल कॉलेज ना जाना, घर पर ही रहना!
और अनिता मेरी बात मान गई।

अगले दिन मैं सुबह तैयार हुआ, अनिता के मम्मी-पापा रोज सुबह नौ बजे ऑफिस के लिए निकल जाते थे।
मैंने अनिता को कॉल किया और कहा- अपने घर का मेन-डोर खोल कर रखना क्योंकि जब मैं अन्दर जाऊँ तो कोई देख ना ले।
अनिता ने दरवाज़ा खोल दिया, मौका मिलते ही मैं उसके घर में घुस गया और अन्दर से दरवाज़ा लॉक कर दिया।

जैसे मैंने अनिता को देखा तो देखता ही रह गया- क्या लग रही थी!
उसके खुले बाल, जो गीले थे, शायद नहा कर निकली थी, उसकी नीले रंग की नाईटी उसके बदन से चिपक रही थी, जिससे वो और भी सेक्सी लग रही थी।
मेरा लण्ड तो खुशी से उछलने लगा।
अनिता ने मुझे बैठने को कहा और वो अन्दर चली गई।

मुझे लग रहा था कि जिस इरादे से मैं आया हूँ, वही इरादा अनिता का भी है।
मैं उठा और अन्दर गया, देखा तो अनिता अपने बाल बना रही थी। मैंने उसे पीछे से पकड़ा और गर्दन चूमने लगा। वो मुझे मना करने लगी, पर मुझसे दूर नहीं हो रही थी।
मेरा हौसला और बढ़ गया, मैंने उसे अपनी और घुमाया और उसके होंठ चूसने लगा।
सच कहूँ तो होंठ चूसने में बहुत मजा आता है।

मेरा लण्ड पूरा कड़क हो गया था जो अनिता की चूत पर रगड़ रहा था। मेरे हाथ अनिता के मम्मों पर आ गए और मैं जोर-जोर से दबाने लगा।
अब अनिता भी गर्म होने लगी थी, उसके मुँह से मीठी-मीठी वासनामयी आवाजें निकल रही थीं।
मुझे भी सहन नहीं हो रहा था, मैंने अनिता को पास वाले बेड पर लिटाया और मैं उसके ऊपर आ कर चूमने लगा।
अब मैं उसके कपड़ों पर से मम्मे चूसने लगा। मेरे चूसने से उसके कपड़े गीले हो गए थे।

मैंने अनिता के कपड़े निकाल दिए, अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। मैंने पहली बार किसी जवान लड़की को ऐसी हालत में देखा था, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने अपने भी कपड़े निकाल डाले और पूरा नंगा हो गया और अनिता के ऊपर चढ़ गया और मम्मे दबाने लगा।

अब मैंने ब्रा भी निकाल ली थी और उसके मम्मे जोर-जोर से दबाने लगा। अनिता के मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं और कह रही थी- धीरे-धीरे कर ना… दर्द हो रहा है… आह आह ऊ ऊ!

यह मेरे लिये पहली बार था, मतलब मैं इस खेल में अनाड़ी था, ऐसा कुछ नहीं है अन्तर्वासना पर कहानी पढ़-पढ़ कर मुझे काफी जानकारी हो गई थी और मैं सेक्स का पूरा मजा लेना चाहता था।

मैं अनिता के पूरे बदन को चूमता-चाटता रहा, चूमते-चाटते अब मैं उसके चूत के पास आया, उसकी पेंटी पूरी गीली हो गई थी, उसकी पेंटी पर से ही मैंने चूत चाटी।
उसके चूत में से अच्छी महक आने लगी और नमकीन सा स्वाद मिला, मैंने अनिता की पेंटी निकाली।
ओए-होए…क्या चूत थी!
उसकी पतली-पतली फाँकें, रेशमी झांटों के बीच में ऐसे दिख रही थीं, जैसे फूल की कली!

मैंने पहली बार चूत इतने नजदीक से देखी थी, चूत पूरी गीली थी, मैंने चाट-चाट कर साफ कर दी।
जैसे ही मैंने अपने होंठ चूत पर रखे, अनिता के मुँह से मीठी सी ‘आह’ निकली।
मैं उसकी चूत चाटता जा रहा था और वो ‘आह… आह’ किए जा रही थी।

प्रिय पाठको, इतना लिखते-लिखते ही मुझे वासना बहुत सताने लगी है, आप भी अपने लौड़े और चूतों को सहला लीजिए।
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त! अगले भाग में कहानी मस्त होने वाली है। आपके विचारों से अवगत कराने के लिए प्लीज़ मुझे ईमेल कीजिए।
[email protected] कहानी का दूसरा भाग : किस्मत खुली, चूत फटी-2

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